सोनीपत, भारत, March 23, 2017 /PRNewswire/ --
- गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा के माध्यम से ज्ञान की गतिशीलता, राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण है; Shri Pranab Mukherjee, भारत के राष्ट्रपति
- Aspire India Scholars Programme (समर स्कूल) और Jindal School of Journalism and Communication लांच किया गया
- हमें अपने जनसंख्या विभाजन को जनांकिक आपदा बनने से अवश्य रोकना होगाा - चांसलर, Naveen Jindal
- शीर्ष 25 एशियाई विश्वविद्यालयों में जहां भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है, वहीं चीन के 5 विश्वविद्यालय इसमें शामिल हैं - वाइस चांसलर, Prof. Raj Kumar
Shri Pranab Mukherjee, भारत के राष्ट्रपति ने देश के विश्वविद्यालयों और संस्थानों का आह्वान किया है कि वे उच्चतर शिक्षा का एक ऐसा रोडमैप तैयार करें जो अनुसंधान, ज्ञान सृजन, संस्थागत उत्कृष्टता और वैश्विक मानदंडों के महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर केंद्रित हो। उन्होंने कहा कि देश में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालय स्थापित करने के लिए ये बुनियादी शर्तें हैं।
(Photo: http://mma.prnewswire.com/media/481213/O_P__Jindal___Universities_of_the_Future.jpg )
राष्ट्रपति Mukherjee हाल ही में संपन्न अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेन्स 'यूनिवर्सिटी ऑफ फ्यूचरः नॉलेज इनोवेशन एंड रिस्पांसिबिलिटी' नामक एक तीन दिवसीय फोरम में बोल रहे थे, जो 21वीं शताब्दी में भारतीय विश्वविद्यालयों की भावी रूपरेखा पर विचार करने के लिए आयोजित किया गया था। O. P. Jindal Global University (JGU) के International Institute for Higher Education Research and Capacity Building (IIHEd) द्वारा आयोजित इस अंतर्राष्ट्रीय फोरम को 18-20 मार्च, 2017 के दौरान JGU परिसर, सोनीपत, हरियाणा में आयोजित किया गया।
इस अवसर पर बोलते हुए राष्ट्रपति Mukherjee ने जोर दिया कि शिक्षा प्रणाली को अधिक मज़बूत औद्योगिक-अकादमिक भागीदारी हेतु प्रयास करने के साथ ही 'जनांकिक विभाजन' की चुनौतियों को हल करने की दिशा में भी काम करना चाहिए। ''गुणवत्तापरक उच्च शिक्षा के माध्यम से ज्ञान की गतिशीलता, राष्ट्र के सामाजिक-आर्थिक विकास हेतु बहुत महत्त्वपूर्ण है। नवप्रवर्तक और भविष्योन्मुखी विश्वविद्यालय इसके पीछे की प्रेरक शक्तियां हैं," ऐसा उन्होंने बताया।
राष्ट्रपति Mukherjee ने यह भी कहा कि भावी विश्वविद्यालयों को समाज के विविध हितधारकों से भी मज़बूत संबंध बनाने होंगे। ''आधारभूत अनुसंधान के मज़बूत आधार के बिना हमारी भविष्योन्मुखी विश्वविद्यालय योजनाएं गंभीर परिस्थितियों का शिकार हो जाएंगी।"
राष्ट्रपति ने आगे कहा कि भारतीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली ने समय के साथ अपनी वैश्विक प्रतिस्पर्धी श्रेष्ठता खो दी है और इस समय कोई भी भारतीय विश्वविद्यालय, विश्व के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। "हालांकि यहां 757 विश्वविद्यालय, 36000 कॉलेज, 30 NIT और 116 IIT हैं, लेकिन अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान में उनकी भागीदारी नगण्य है। ढांचे, फैकल्टी, अनुसंधान गुणवत्ता और क्षमता सृजन के मामलों में शिक्षा प्रणालियों में सुधार करने की तत्काल ज़रूरत है।" Mukherjee ने बताया।
Shree Rambilas Sharma, शिक्षा मंत्री, हरियाणा ने कहा कि, "ज्ञान, नवप्रवर्तन और जिम्मेदारी, प्राचीन काल से ही भारत के विशेष गुण रहे हैं। ज्ञान केवल हमारा अतीत ही नहीं, बल्कि भविष्य भी है।"
Mr. Naveen Jindal, संस्थापक चांसलर, JGU, ने कहा कि, "भविष्य के विश्वविद्यालयों को राष्ट्र की वृद्धि और विकास के ऐसे केंद्रीय आधारस्तंभ बनना होगा जो न केवल बुद्धिमत्तापूर्ण लोगों को विकसित करें बल्कि प्रखर बौद्धिकता का भी विकास करें। हमारे विश्वविद्यालयों को सक्रिय शिक्षण और अनुसंधान स्थलों में परिवर्तित करना ही होगा, जो नवप्रवर्तन और नए विचारों के लिए लांच पैड की तरह काम कर सकें।'' चांसलर Jindal ने शिक्षा क्षेत्र की आधारभूत भूमिका को भी रेखांकित करते हुए कहा कि, "यदि भारत को उच्चतर वृद्धि दर हासिल करनी है और मानव विकास सूचकांक पर अपनी स्थिति बेहतर बनानी है, तो देश के शिक्षा क्षेत्र को बहुत सावधानी से पोषित करना होगा।"
"हमें अपने जनांकिक विभाजन को जनांकिक आपदा बनने से रोकना होगा, हमारे विश्वविद्यालयों को केवल डिग्रियां प्रदान करने के बजाय ज्ञान सृजन और क्षमता सृजन के लक्ष्य तय करने होंगे।" ऐसा Mr. Jindal ने उल्लेख किया।
चांसलर Jindal ने Jindal School of Journalism and Communication (JSJC) और Aspire India Scholars Programme (AISP) को भी लांच करने की घोषणा की।
JSJC JGU का छठा इंटरडिसिप्लिनरी स्कूल है और यह मीडिया व दूरसंचार अध्ययन क्षेत्र में शिक्षा, अनुसंधान और क्षमता सृजन हेतु अवसर उपलब्ध कराएगा।
AISP हाईस्कूल के विद्यार्थियों के लिए एक अद्वितीय समर स्कूल है, जिसका लक्ष्य छात्रों को छह अंतरवैषयिक क्षेत्रों Law, Justice and Democracy (LJD); Business Management, Leadership and Entrepreneurship (BLE); Diplomacy International Relations & Peace (DIP); Economy, Public policy and Development (EPD); Liberal arts, Culture and Humanities (LCH); Media Communication & Public Affairs (MCPA) में थीम आधारित प्रायोगिक शिक्षण मॉड्यूल्स के माध्यम से वैश्विक दृष्टिकोण, अखंड शिक्षा और नैतिक मूल्य प्रदान करना है।
JGU परिसर में भारत के प्रथम नागरिक का स्वागत करते हुए, Prof. C Raj Kumar, वाइस चांसलर, JGU, ने कहा कि, "116 संस्थानों के विजिटर के रूप में राष्ट्रपति Mukherjee ने उच्चतर शिक्षा को उन्नत बनाने की दिशा में सामाजिक व बौद्धिक जागरूकता सुदृढ़ बनाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण योगदान किया है। देश में उच्चतर शिक्षा की महत्त्वपूर्ण उन्नति की दिशा में उनका विशिष्ट योगदान, उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि है। उन्हें आज अपने बीच पाकर हमें असीम गर्व की अनुभूति हो रही है।"
कॉन्फ्रेन्स की थीम से परिचित कराते हुए वॉइस चांसलर Kumar ने कहा कि, "भारतीय उच्चतर शिक्षा प्रणाली अनेक चुनौतियों का सामना कर रही है, जहां गुणवत्ता, मात्रा, सुगम्यता और समता के संबंधित मुद्दों का एक साथ समाधान किया जा रहा है। जहां विस्तार की चुनौतियां हल करने तथा उच्चतर शिक्षा प्राप्त करने के अवसर उपलब्ध कराने की दिशा में काफी प्रयास किए गए हैं, वहीं बहुत कुछ अभी किया जाना शेष है।"
Prof. Kumar ने आगे कहा कि, "शीर्ष 25 एशियाई विश्वविद्यालयों में जहां भारत का एक भी विश्वविद्यालय नहीं है, वहीं हांगकांग, सिंगापुर, ताइवान व अन्य अनेक देशों के विश्वविद्यालयों सहित चीन के 5 विश्वविद्यालय भी इसमें शामिल हैं। हमें सिंहावलोकन करते हुए हमारे विश्वविद्यालयों के भविष्य पर विचार करना होगा जो हमें राष्ट्र निर्माण हेतु संस्थाओं के विकास में योगदान हेतु सक्षम और सशक्त बनाएगा।"
"मैंने सदैव ही इस पर जोर दिया है कि जहां मेक इन इंडिया, कारोबारों के विकास तथा आर्थिक अवसरों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक है, वहीं भारत का भविष्य भारत को अकादमिक संस्थानों और विश्वविद्यालयों के माध्यम से उन्नत बनाने पर निर्भर है।'' ऐसा उन्होंने बताया।
कॉन्फ्रेन्स में कई विचारों और दृष्टिकोणों पर चर्चा हुई, जो तुलनात्मक और अंतर्राष्ट्रीय आयामों में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों के विकास हेतु भारतीय महत्त्वाकांक्षाओं को आकार देने से संबंधित थे।
उच्चतर शिक्षा के क्षेत्र में ऐसे अवसर सृजित करना फोरम का उद्देश्य था, जो भावी छात्रों को भारत में विश्वस्तरीय विश्वविद्यालयों में विश्वस्तरीय शिक्षा प्राप्त करने की सुविधा प्रदान करेंगे। फोरम में इस बात को रेखांकित किया गया कि जहां व्यक्तिगत रूप से अध्येताओं ने वैश्विक उत्कृष्टता के स्तरों को छुआ है, वहीं संस्थानों के रूप में भारतीय विश्वविद्यालयों को बौद्धिक दर्जा और प्रतिष्ठा दिलाने के लिए कई अनिवार्य सुधार करने होंगे।
O.P. Jindal Global University के विषय में
JGU हरियाणा निजी विश्वविद्यालय (द्वितीय संशोधन) अधिनियम, 2009 के तहत स्थापित एक अलाभकारी वैश्विक यूनिवर्सिटी है। Mr. O.P. Jindal की स्मृति में स्थापित JGU संस्थापक चांसलर Mr. Naveen Jindal का एक मानवतावादी प्रयास है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने इसे O.P. Jindal Global University का दर्जा प्रदान किया है। वैश्विक कोर्स, वैश्विक प्रोग्राम, वैश्विक पाठ्यक्रम, वैश्विक शोध, वैश्विक सहयोग, और वैश्विक संकाय के माध्यम से वैश्विक आपसी संपर्क को बढ़ावा देना JGU का विज़न है। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली में JGU 80 एकड़ के अत्याधुनिक आवासीय परिसर में स्थित है।
JGU एशिया के उन चुनिंदा विश्वविद्यालयों में से है जिन्होंने 1:15 शिक्षक-छात्र अनुपात बनाया हुआ है और विश्व के विभिन्न भागों से असाधारण अकादमिक योग्यताओं वाले अनुभवी संकाय सदस्यों को अपने यहां नियुक्त किया है। JGU के छह स्कूल स्थापित हैं: Jindal Global Law School, Jindal Global Business School, Jindal School of International Affairs, Jindal School of Government and Public Policy, Jindal School of Liberal Arts & Humanities and Jindal School of Journalism and Communication.
अधिक विवरणों के लिए कृपया देखें http://www.jgu.edu.in
मीडिया संपर्क:
Kakul Rizvi
[email protected]
+91-8396907273
Additional Director
Communications and Public Affairs
O.P. Jindal Global University
Share this article