अत्यधिक गर्मी के कारण अभी नई दिल्ली में बाहर काम करने वाले श्रमिकों के श्रम उत्पादन में 25% की कमी, आर्थिक नुकसान 2050 तक बढ़कर 30% होगा
वाशिंगटन, 23 सितंबर, 2022 /PRNewswire/ -- अटलांटिक काउंसिल के Adrienne Arsht-Rockefeller Foundation Resilience Center ने जलवायु-चालित अत्यधिक गर्मी के सामाजिक और आर्थिक प्रभावों का विवरण देने वाली एक नई रिपोर्ट "Hot Cities, Chilled Economies: Impacts of Extreme Heat on Global Cities," आज जारी की जिसमें छह महाद्वीपों में फैले 12 शहरों में 123 मिलियन से अधिक की शहरी आबादी का अध्ययन किया गया है।
Vivid Economics के साथ साझेदारी में किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि नई दिल्ली में गर्म और आर्द्र परिस्थितियों के कारण औसत श्रम उत्पादकता का नुकसान इनडोर या छाया में काम करने वाले श्रमिकों के लिए 20 प्रतिशत और सूरज की गर्मी में काम करने वालों के लिए 25 प्रतिशत है। यदि अतिरिक्त अनुकूलन और उत्सर्जन में कमी नहीं की गई तो, 2050 तक ये प्रभाव क्रमशः 24 प्रतिशत और 30 प्रतिशत के नुकसान तक बढ़ सकते हैं। इसका मतलब 2020 में 28,800 करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान है जिसके 2050 तक बढ़कर 45,100 करोड़ रुपए होने का अनुमान है। यदि गर्मी के सारे आर्थिक प्रभावों पर विचार किया जाए—उदाहरण के लिए, बुनियादी ढांचे और मशीनरी को नुकसान, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में वृद्धि, और व्यापक अर्थव्यवस्था पर कम उत्पादकता के अप्रत्यक्ष प्रभाव—तो कुल नुकसान काफी अधिक हो सकता है।
"जलवायु-चालित गर्मी हमारे जीने और काम करने के तरीके को बदल रही है, फिर भी इस खामोश और अदृश्य खतरे के बारे में वर्तमान जागरूकता खतरनाक रूप से अपर्याप्त है। शहरों पर गर्मी के असमान प्रभाव ने हमें अपने जलती धरती के आर्थिक और सामाजिक प्रभावों को मापने और जानने के लिए मजबूर किया," अटलांटिक काउंसिल के Adrienne Arsht-Rockefeller Foundation Resilience Center में SVP व निदेशक कैथी बॉघमैन मैकलियोड ने कहा। "हमें उम्मीद है कि ये निष्कर्ष जागरूकता बढ़ाएंगे और आगे शहरों को शांत करने व लोगों की रक्षा करने वाले हस्तक्षेप करने, नीतियां बनाने व निवेश करने को बढ़ावा देंगे।"
अन्य प्रमुख निष्कर्ष इस प्रकार हैं:
- एक सामान्य वर्ष में, औसत तापमान (रात भर के निम्नतम सहित) 36 दिनों के लिए 33.4 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है, और सबसे गर्म दस दिनों का औसत 36.2 डिग्री सेल्सियस से अधिक होता है।
- इस गर्मी का सबसे अधिक खामियाजा निर्माण श्रमिकों को भुगतना पड़ता है – नई दिल्ली के उत्पादन का सिर्फ 9% उत्पादन करने के बावजूद, वे शहर के एक तिहाई नुकसान के लिए जिम्मेदार हैं, श्रम-गहन उत्पादन और 60% से अधिक काम के घंटे बाहर बिताने के कारण।
- नई दिल्ली में लोगों पर गर्मी का प्रभाव वायु प्रदूषण, गरीबी और आवश्यक सेवाओं तक अविश्वसनीय पहुंच के कारण और अधिक बढ़ जाता है।
- गर्मी के प्रभाव नई दिल्ली भर में असमान रूप से दिखते हैं, जहां उच्चतम तापमान शहर के पश्चिमी भागों में महसूस किया जाता है। इन इमारती इलाकों में, तापमान ग्रामीण परिवेश की तुलना में 8 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म हो सकता है और 'अर्बन हीट आइलैंड' प्रभाव के कारण 2050 तक इसके 9 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है। सावधानीपूर्वक योजना नहीं बनाई गई तो, 2050 तक नई दिल्ली की अनुमानित निरंतर जनसंख्या वृद्धि UHI समस्या को 20% बढ़ा सकती है।
नई दिल्ली शहरी नियोजन और व्यवहार परिवर्तनों के माध्यम से सक्रिय रूप से गर्मी के अनुकूल हो रही है। प्रयासों में शामिल हैं:
- योजना/नीति: गर्मी के जोखिम को सीमित करने के लिए, नई दिल्ली और आसपास के क्षेत्रों ने काम करने और स्कूली शिक्षा के घंटों को बदल दिया है, जिससे उन्हें दिन के सबसे गर्म घंटों से राहत मिली है।
- निर्मित पर्यावरण और प्रकृति आधारित समाधानों में निवेश: दिल्ली के लिए 2041 के लिए मास्टर प्लान का मसौदा अन्य जलवायु और विकास के विचारों के साथ गर्मी के लचीलेपन को एम्बेड करता है, बाढ़ और गर्मी के जोखिम दोनों को कम करने के लिए कई-फायदेमंद विकल्पों को उजागर करता है जिनमें पर्मीएबल पेविंग, ऊर्जा उपयोग घटाने और शीतलन पहुंच का विस्तार करने के लिए साझा डिस्ट्रिक्ट कूलिंग और गर्मी और प्रदूषण दोनों को कम करने वाले हरित समाधान शामिल हैं। अर्बन हीट आइलैंड्स को कम करने के लिए, नई दिल्ली पेड़ों की संख्या में 20% से अधिक की वृद्धि कर रही है और बड़े हरे नोड्स को जोड़ने और वनस्पति को शामिल करने के लिए जैव-गलियारों की शुरुआत कर रही है। स्थानीय नेता इमारतों में 'कूलिंंग रूफ ' को शामिल करने के लिए भी केंद्र सरकार के साथ काम कर रहे हैं। एसी और कूलिंग की मांग काफी बढ़ी है और 2040 तक इसके और 40% बढ़ने की उम्मीद है। हालांकि यह गर्मी के जोखिम को कम कर सकता है, यह विद्युत ग्रिड को दबाव में लाकर और बिजली उत्पादन से प्रदूषण बढ़ाकर गर्मी के प्रभाव को भी बढ़ा सकता है। 2019 इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान इन कड़ियों के प्रति सचेत है और अत्यधिक गर्मी के प्रभावों को कम करते हुए एसी के कारण होने वाली ऊर्जा की मांग को कम करना चाहता है। इसका एक प्रमुख उद्देश्य क्षेत्र-विशिष्ट स्थायी शीतलन प्रौद्योगिकियां सुझाना और उनके विस्तार को सक्षम करने के लिए सरकारी सहायता प्रदान करना है।
इस रिपोर्ट के लिए, केवल उन तरीकों के एक उपसमूह की पड़ताल की गई जिसमें अत्यधिक गर्मी किसी शहर की अर्थव्यवस्था और समाज को प्रभावित कर सकती है और 'सामान्य' बनाम असामान्य रूप से गर्म वर्षों में प्रभावों का मूल्यांकन करती है। इसका अर्थ है कि यह गर्मी की सामाजिक और आर्थिक लागतों का एक रूढ़िवादी दृष्टिकोण प्रदान करती है। यह बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों, शिक्षण व शिक्षा में कमी, या व्यापार में रुकावट के परिणामस्वरूप होने वाले नुकसान के प्रभावों या लागतों को नहीं देखती है।
पूरी रिपोर्ट और कार्यप्रणाली यहांदेखी जा सकती है।
The Adrienne-Arsht Rockefeller Foundation Resilience Center जलवायु प्रभावों का सामना करने के लिए व्यक्तिगत और सामुदायिक लचीलापन बनाता है। हमारा जलवायु परिवर्तन के लिए लचीलेपन (resilience) के समाधान के साथ 2030 तक दुनिया भर में एक अरब लोगों तक पहुंचने का संकल्प है।
मीडिया संपर्क: [email protected]
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