• Royal Commission for AlUla (RCU) द्वारा प्रायोजित अंतर्राष्ट्रीय टीम ने खड़े पत्थर के घेरों के रूप में वर्णित विशिष्ट घरों का विश्लेषण किया
• निओलिथिक काल के प्रमुख शोध से पता चलता है कि पहले की तुलना में 6वीं और 5वीं मिलेनिया BCE के दौरान इस क्षेत्र के निवासी अधिक व्यवस्थित थे
अलुला, सऊदी अरब, 10 जुलाई, 2024 /PRNewswire/ -- उत्तर-पश्चिम सऊदी अरब की अलुला काउंटी में किए गए अभूतपूर्व पुरातात्विक अनुसंधान ने निओलिथिक काल के दौरान इस क्षेत्र में पहचाने गए दीर्घकालिक घर की तरह का पहला सर्वसमावेशी विवरण और विश्लेषण प्रकाशित किया है।
इस शोध से पता चलता है कि 6ठी और 5वीं मिलेनिया BCE के दौरान इस क्षेत्र के निवासी पहले की अपेक्षा अधिक स्थायी थे। उनके पास सांस्कृतिक सामग्री का विविधतापूर्ण संग्रह भी था: वे पशुपालन करते थे, आभूषण बनाते थे, तथा सांस्कृतिक क्षितिज पर लेवंत से होते हुए पूर्वी जॉर्डन और लाल सागर तक फैले क्षेत्रों में व्यापार करते थे।
Artists’ impression of a small cluster of Standing Stone Circle dwellings during the Neolithic period. A male figure shepherding goats back into the camp, another sits outside, knapping stone tools. The animal skin walls of their dwelling are thrown up while a number of small hearth fires sit cold. (Artist: Thalia Nitz)
The team excavating two spaces within a single Standing Stone Circle. In the background you can see the walls of neighbouring dwellings.
An example of a single Standing Stone Circle, a small structure, 4m across with upright stone walls and single standing stone in the centre. A small doorway with threshold stone is located in the centre of the image, inside is a roughly paved surface.
Examples of the small jewellery items found in Standing Stone Circles. A. carved stone ring, and carved stone pendants.
2 जुलाई को सहकर्मी-समीक्षित Levant जर्नल में प्रकाशित एक रिपोर्ट में, University of Sydney के पुरातत्वविद् Jane McMahon के नेतृत्व में किए गए शोध में खड़े पत्थरों के घेरों के रूप में ज्ञात संरचनाओं की पुरातात्विक जांच के नवीनतम निष्कर्षों और टिप्पणियों का वर्णन किया गया है, जिसमें चार से आठ मीटर व्यास के एक घेरे में खड़ें पत्थर के स्लैबों की दोहरी पंक्ति में अनोखी प्रकार के घर हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि स्लैबों का उपयोग लकड़ी (संभवतः बबूल) के खंभों का नींव के लिए उपयोग किया गया था, तथा घर की छत को सहारा देने हेतु दो पंक्तियों के बीच में उन्हें लगाया गया, और बीच में एक अन्य स्लैब द्वारा एक केंद्रीय लकड़ी के खंभे को सहारा दिया जा रहा हो। हालांकि शोधकर्ताओं ने इस बात पर बल दिया है कि इस पर अतिरिक्त अध्ययन की आवश्यकता है, लेकिन साइट पर पाए गए औजारों और जानवरों के अवशेषों से ऐसा पता चलता है जैसे कि छतें जानवरों की खाल से बनी हों।
कुल मिलाकर, टीम ने अलुला काउंटी में बेसाल्ट से ढके ज्वालामुखी पठार, Harrat Uwayrid में 431 खड़े पत्थरों के घेरों का अध्ययन किया, जिनमें से 52 संरचनाओं का सर्वेक्षण किया गया और 11 का उत्खनन किया गया है।
Jane McMahon ने कहा: "इस शोध में उत्तर-पश्चिमी अरब के प्रारंभिक निवासियों की जीवन संबंधी मान्यताओं का परीक्षण किया जा रहा है। वे महज उपयोगितावादी जीवन जीने वाले खानाबदोश पशुपालक नहीं थे। उनके पास विशिष्ट वास्तुकला और घर, बड़ी संख्या में पालतू पशु, तथा अप्रत्याशित और असाधारण स्तर की विविधता वाले आभूषण और उपकरण थे। और खड़े पत्थरों के घेरों की संख्या और आकार के आधार पर ऐसा प्रतीत होता है कि उनकी संख्या पहले सोची गई संख्या की तुलना में कहीं अधिक रही होगी।"
Rebecca Foote, RCU की पुरातत्व और सांस्कृतिक विरासत अनुसंधान निदेशकने कहा: "RCU द्वारा दुनिया के सबसे बड़े पुरातात्विक अनुसंधान कार्यक्रमों में से एक को प्रायोजित करने से इस क्षेत्र के निओलिथिक निवासियों के बारे में हमारी समझ में वृद्धि हो रही है। हमारे पिछले अध्ययनों से पता चला है कि वे किस प्रकार शिकार करते तथा अनुष्ठान के लिए एकत्रित होते थे, और अब हमें उनके दैनिक जीवन के बारे में नई जानकारियाँ मिली हैं। चूंकि हम पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण का एक वैश्विक केंद्र बना रहे हैं, 12 वर्तमान सर्वेक्षणों, उत्खनन और विशेषज्ञ परियोजनाओं तथा नौ पूर्ण हो चुकी परियोजनाओं के साथ, RCU उत्तर-पश्चिमी अरब के समृद्ध सांस्कृतिक परिदृश्य के बारे में और अधिक जानने के लिए तत्पर है।"
खड़े पत्थरों के घेरों में पाए गए पशु अवशेषों की टीम द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि यहां मिश्रित निर्वाह अर्थव्यवस्था थी, जिसमें बकरियों और भेड़ों जैसी घरेलू प्रजातियों का प्रभुत्व था, लेकिन साथ ही साथ हिरन और पक्षियों जैसी जंगली प्रजातियां भी थीं। पशुपालन पर महत्वपूर्ण निर्भरता ने निवासियों को मौसम, जल और वनस्पति सहित पर्यावरण और संसाधन परिवर्तनशीलता के प्रति प्रतिक्रिया करने के लिए लचीलापन और आत्मनिर्भरता प्रदान की होगी।
टीम द्वारा विश्लेषित बाणाग्र, दक्षिणी और पूर्वी जॉर्डन में पाए जाने वाले बाणाग्र की प्रकार और आकार जैसे हैं। अन्य साक्ष्यों के अतिरिक्त, यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि दोनों क्षेत्रों की आबादी के बीच परस्पर क्रिया होती थी, हालांकि इस परस्पर क्रिया की प्रकृति अभी तक स्पष्ट नहीं है।
इस अवधि के दौरान अधिक परस्पर जुड़े क्षेत्र के बारे में स्थलों पर पाई गई छोटी वस्तुएं भी सुराग प्रदान करती हैं। उदाहरण के लिए, टीम को गैस्ट्रोपोड और बाइवाल्व के गोले मिले, जिनमें अक्सर एक ही छेद किया जाता था और संभवतः मोतियों के रूप में इस्तेमाल किया जाता था। इन शंखों की प्रजाति लाल सागर की पश्चिम दिशा में 120 किलोमीटर दूर पाए जाने वाले शंखों से मिलती है, जिससे निओलिथिक काल के दौरान तट के साथ इनके संबंध का पता चलता है।
अन्य खोजों में बलुआ पत्थर और चूना पत्थर की अंगूठियां या कंगनों के साथ-साथ पेंडेंट जैसे आभूषण सम्मिलित हैं। टीम ने एक गेरू-लाल बलुआ पत्थर का चित्रांकन भी खोजा, जिसका उपयोग संभवतः चित्रकारी के लिए किया जाता था।
शोधकर्ताओं ने लिखा है, "अलुला में निओलिथिक काल की संबंधित परंतु पृथक प्रकृति स्पष्ट हो रही है।"
अध्ययन के सह-लेखकों में अलुला कम्यूनिटी के सदस्य Yousef AlBalawi सम्मिलित है, जिन्होंने एथनोग्राफ़िक अंतर्दृष्टियां प्रदान की। King Saud University और University of Hail सहित सऊदी विश्वविद्यालयों के छात्रों ने भी सहायता की।
साक्ष्य-आधारित रेखाचित्र युक्त गैलरी में खड़े पत्थरों के घेरे को दर्शाता एक चित्र यहां से देखा और डाउनलोड किया जा सकता है।
Royal Commission for AlUla का परिचय
जुलाई 2017 में शाही डिक्री के माध्यम से उत्तर-पश्चिम सऊदी अरब में उत्कृष्ट प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व के क्षेत्र अल-ऊला को संरक्षित और विकसित करने के लिए Royal Commission for AlUla (RCU) की स्थापना की गई थी। RCU की दीर्घकालिक योजना शहरी और आर्थिक विकास के लिए एक जिम्मेदार, टिकाऊ और संवेदनशील दृष्टिकोण की रूपरेखा प्रस्तुत करती है, जो क्षेत्र की प्राकृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करते हुए अलुला को रहने, काम करने और भ्रमण के लिए एक वांछनीय स्थान के रूप में स्थापित करती है। इसमें पुरातत्व, पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा और कला के क्षेत्र में व्यापक पहल सम्मिलित है, जो सऊदी अरब के विज़न 2030 कार्यक्रम के आर्थिक विविधीकरण, स्थानीय कम्यूनिटी के सशक्तिकरण और विरासत संरक्षण प्राथमिकताओं को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
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