उत्तर-पश्चिम अरब में अनुसंधान से दुनिया की प्राचीनतम स्मारकीय संरचनाओं की श्रृंखलाओं में से एक सामने आई है क्योंकि अलउला पुरातत्व के लिए अपने नए वैश्विक केंद्र का विवरण पेश करता है - द किंगडम्स इंस्टीट्यूट
द किंगडम्स इंस्टीट्यूट – इस महीने की शुरूआत में घोषित पुरातात्विक और संरक्षण अनुसंधान के लिए अलउला का वैश्विक केंद्र – अरब के 22,000 वर्ग किलोमीटर के लिविंग म्यूजियम में वैज्ञानिक अनुसंधान और खोज के लिए अग्रणी मंच प्रदान कर रहा है।
अलउला व इसके आसपास का विस्तृत अध्ययन अब तक पहचान की गई सबसे पुरानी स्मारकीय भवन शैलियों में से एक को उजागर करता है: 'यह नवपाषाण समाजों को देखने के हमारे दृष्टिकाेण को बदल देगा।'
शोधकर्ताओं ने अलउला और आसपास के क्षेत्र का अभूतपूर्व हवाई सर्वेक्षण किया तथा उसके बाद व्यापक जमीनी सर्वेक्षण और लक्षित उत्खनन किया।
अलउला, सऊदी अरब, 30 अप्रैल 2021 /PRNewswire/ -- द किंगडम्स इंस्टीट्यूट, अलउला में पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण अध्ययन के लिए हाल ही में शुरू हुए केंद्र, ने आज उत्तर-पश्चिमी सऊदी अरब में एक महत्त्वपूर्ण पुरातात्विक खोज की घोषणा की: स्मारकीय, जटिल ढांचे जिन्हें मुस्टेटिल कहा जाता है, वे उससे कहीं अधिक प्राचीन हैं जितना उन्हें पहले माना जाता रहा है। यह अपडेट सऊदी विजन 2030 की घोषणा की वर्षगांठ पर आई है, जिसे पांच साल पहले इसी सप्ताह अनावृत किया गया था, और जिसमें द किंगडम्स इंस्टीट्यूट का महत्त्वपूर्ण योगदान होगा।
मल्टीमीडिया समाचार रिलीज़ देखने के लिए, कृपया क्लिक करें: https://www.multivu.com/players/uk/8889651-alula-reveals-new-global-hub-for-archaeology-the-kingdoms-institute/
अध्ययन व निष्कर्ष विस्तृत होंगे जिन्हें प्रमुख समीक्षा जर्नल Antiquity में 30 अप्रैल, 2021 को प्रकाशित किया जाएगा।
इस महीने की शुरुआत में अनावृत द किंगडम्स इंस्टीट्यूट की स्थापना रॉयल कमीशन फॉर अलउला (आरसीयू) के तत्वावधान में की गई है। आरसीयू द्वारा पूरे अलउला काउंटी में व्यापक शोध कार्यक्रम चलाया गया है जो न केवल क्षेत्र के मानव इतिहास के ज्ञान का विस्तार कर रहा है बल्कि पुरातात्विक अनुसंधान और संरक्षण के लिए एक वैश्विक केंद्र के रूप में इस संस्थान की बौद्धिक नींव भी बन रहा है।
सऊदी के संस्कृति मंत्री व आरसीयू के गवर्नर, हिज हाइनेस प्रिंस बद्र ने कहा: "हिज रॉयल हाइनेस क्राउन प्रिंस के दृष्टिकोण से प्रेरित होकर, 200,000 वर्षों के इतिहास के संरक्षण के लिए अलउला की सांस्कृतिक विरासत द किंगडम इंस्टीटयूट के साथ जारी रहेगी: जो ज्ञान, अनुसंधान और सहयोग के लिए एक वैश्विक केंद्र है और पुरातत्व की सीमाओं की खोज कर रहा है व हमारे समुदाय के लिए करियर की नई संभावनाएं खोल रहा है। खोज और उत्सव की जगह, जैसे जैसे हम मानवता के लिए अरब के योगदान को प्रकट करते हैं।"
अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन
हालांकि मुस्टेटिल का अस्तित्व तो पहले से ही ज्ञात था, लेकिन आरसीयू-कमीशन की टीम द्वारा दर्ज 1,000 से अधिक मुस्टेटिल पहले चिन्हित की गई मुस्टेटिल की तुलना में लगभग दोगुनी हैं।
यूनिवर्सिटी ऑफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की टीम द्वारा किए गए अभूतपूर्व हवाई और जमीनी अनुसंधान के तहत रिमोट सेंसिंग और हेलीकॉप्टर से क्षेत्र के विशाल हिस्सों का सर्वेक्षण किया गया। आसमान से उनकी उपस्थिति दर्ज करने के बाद, टीम ने जमीनी स्तर पर लगभग 40 का पता लगाया और एक उत्खनन किया – कुल मिलाकर यह मुस्टेटिल का अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है। अरब रेगिस्तान में ये प्राचीन संरचनाएं अनुष्ठान गतिविधि के प्रारंभिक साक्ष्य देती हैं।
अलउला में एक मुस्टेटिल के कक्ष में मिले मवेशी के सींग व दांत की रेडियोकार्बन डेटिंग से पता चलता है कि वह नव पाषाणकाल के आखिरी दौर, छठी शताब्दी ईसा पूर्व की हैं और दूसरी चीजों के साथ इनका उपयोग अनुष्ठान में अर्पित करने के लिए किया गया था।
मुस्टेटिल अनुसंधान आरसीयू के लिए प्राथमिकता है। अलउला में पुरातात्विक अनुसंधान का अभियान, जिसमें मुस्टेटिल खोजें शामिल हैं, को इस समय डिस्कवरी चैनल पर वृत्तचित्र श्रृंखला-आर्किटेक्टस ऑफ एनसिएंट अरबिया- में शामिल किया गया है।
खोज का एक केंद्र
किंगडम्स इंस्टीट्यूट को पुरातात्विक और संरक्षण अनुसंधान के लिए विश्व-स्तरीय वैज्ञानिक केंद्र के रूप में स्थापित किया जा रहा है, जो अरब प्रायद्वीप के इतिहास और प्रागैतिहास के अध्ययन के लिए समर्पित है और इसकी विरासत को तीन महाद्वीपों को जोड़ने वाले दोराहे के रूप में संरक्षित करने का लक्ष्य है, जो पूरी अलउला काउंटी में उस फील्डवर्क द्वारा समर्थित है जो पहले ही क्षेत्र के प्राकृतिक और मानव इतिहास में अंतराल को भर रहा है।
सांस्कृतिक रूप से महत्त्वपूर्ण केंद्र के रूप में अलउला की भूमिका और वैश्विक सांस्कृतिक और व्यापार विनिमय में इसके ऐतिहासिक महत्व से प्रेरित किंगडम्स इंस्टीट्यूट शैक्षणिक केंद्र के साथ-साथ ज्ञान, अन्वेषण और प्रेरणा के लिए एक सांस्कृतिक मंच होगा। यह इस महीने शुरू किए गए द जर्नी थ्रू टाइम मास्टरप्लान के तहत अलउला में सांस्कृतिक बुनियादी ढांचे के स्तंभों में से एक होगा।
द किंगडम्स इंस्टीट्यूट, विजन 2030 के सऊदी अरब को एक जीवंत सोसायटी, उन्नतिशील अर्थव्यवस्था और महत्वाकांक्षी राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ाने के लक्ष्य को पूरा करने में मदद करेगा। अलउला काउंटी के इतिहास पर एक वैश्विक केंद्र विकसित करने के अलावा, द किंगडम्स इंस्टीट्यूट सऊदी पुरातत्वविदों और संस्थान के भावी लीडर की अगली पीढ़ी को प्रशिक्षित करेगा, जो देश के युवा पेशेवरों के लिए नई राहें खोलेगा।
द किंगडम्स इंस्टीट्यूट का स्थाई घर, लाल-बलुआ पत्थर की एक संरचना है, जो दादान सभ्यता के स्मारकीय कार्यों की अनुगूंज होगी, जिसके दरवाजे 2030 तक अपने पहले आगंतुकों के लिए खोल दिए जाएंगे। आरसीयू का अनुमान है कि संस्थान के उस स्थाई परिसर में 2035 तक सालाना 838,000 आगंतुक आने लगेंगे, जो अलउला के दादन जिले में 28,857 वर्ग मीटर में होगा।
इसका स्थाई भौतिक ढांचा अभी आयोजना चरणों में है, लेकिन आरसीयू की स्थापना से ही यह सक्रिय अनुसंधान संगठन के रूप में है, जहां 100 से अधिक पुरातत्वविद मौसमी फील्डवर्क के दौरान पहले से ही अलउला में खुदाई, सर्वेक्षण में लगे हैं और सम्बद्ध अध्ययन कर रहे हैं। इंस्टीट्यूट का स्थाई संग्रह भी बढ़ रहा है।
हालांकि किंगडम्स इंस्टीट्यूट का अधिदेश अलउला के 200,000 वर्ष के मानव और प्राकृतिक इतिहास को ही कवर करता है, 'साम्राज्यों का युग' – दादन, लिहयान व नबातियन साम्राज्य का दौर -अवधि 1000 ईसा पूर्व से 106 ईस्वी– इस इंस्टीट्यूट के लिए विशेष महत्व वाला युग होगा।
इंस्टीट्यूट दर्जनों पुरातात्विक और संरक्षण मिशनों पर काम कर सकेगा, जिसमें अलउला काउंटी में कार्यरत कई संबद्ध विषयों के विशेषज्ञ शामिल होंगे। इन प्रयासों में सऊदी व किंग साऊद यूनिवर्सिटी सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय संस्थानों की टीमें पहले ही शामिल हैं – जिन्होंने पिछले 15 वर्ष में अलउला में अमूल्य जमीनी कार्य किया है– इसके साथ ही इसमें अन्य संस्थानों के साथ साथ यूनेस्को, आईसीओएमओएस, फ्रांस का सेंटर नेशनल दे ला रीसर्चे साइंतिफिके, जर्मनी का ड्यूश आर्कियोलोजिस इंस्टीट्यूट व यूनिवर्सिटी आफ वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया शामिल हैं।
आरसीयू के कार्यकारी निदेशक (पुरातत्व, धरोहर अनुसंधान और संरक्षण) जोस इग्नेसियो गैलेगो रेविला ने कहा, "हमने केवल उत्तरी अरब के प्राचीन साम्राज्यों की छिपी कहानी को बताना शुरू किया है।" "अभी बहुत कुछ सामने आना बाकी है जैसे-जैसे हम क्षेत्र की पुरातात्विक विरासत की गहराई और चौड़ाई को खुलासा करेंगे, और जिसे दशकों-दशकों तक समुचित ढंग से प्रस्तुत नहीं गया किया गया। लेकिन आखिरकार इसे किंगडम्स इंस्टीट्यूट में उसी रूप में दिखाया जाएगा जिसकी वह हकदार है।"
यह इंस्टीट्यूट न केवल पुरातात्विक खोज के लेंस के माध्यम से अलउला के गहरे इतिहास और अंतर-सांस्कृतिक प्रभाव की परतों को एक-एक कर उतारेगा, बल्कि अत्याधुनिक तरीकों और तकनीकों को रेखांकित करते हुए राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रमों (अकादमिक और व्यावसायिक) का विकास भी करेगा। द किंगडम्स इंस्टीट्यूट सऊदी विशेषज्ञों की अगली पीढ़ी में गहराई से निवेश करेगा ताकि भावी पीढियों के लिए बना रहे।
डॉ. अब्दुलरहमान अलसुहेबानी की संग्रहालय व प्रदर्शनियों के कार्यवाहक निदेशक के रूप में नियुक्ति के साथ ही इस दिशा में पहले ही प्रगति हो चुकी है। इसके साथ ही मुनिरा अल्मुशाव की नियुक्ति भी शामिल है जो सऊदी अरब में किसी पुरातात्विक परियोजना की सह-निदेशक के रूप नियुक्त होने वाले पहली महिला पुरातत्वविद हैं।
आरसीयू की पुरातत्व व सांस्कृतिक विरासत अनुसंधान निदेशक डॉ रेबेका फूटे ने कहा: "चूंकि कई अनुसंधान कार्यक्रम चल रहे हैं, अलउला काउंटी पश्चिम एशिया में पुरातात्विक अनुसंधान का सबसे सक्रिय क्षेत्र बन रहा है। हमने आसमान से इसके 22,000 वर्ग किमी से अधिक इलाके का सर्वेक्षण अभी पूरा किया है और जमीन पर पुरातात्विक महत्व के 30,000 से अधिक क्षेत्रों को चिन्हित किया है। उन 50 से अधिक स्थलों पर लक्षित उत्खनन से, विशेष रूप से बाद के प्रागैतिहास (लगभग 6,000-2,000 ईसा पूर्व) के बारे में जानकारी के लिए डाटा प्रदान कर रहे हैं, जिसके आश्चर्यजनक परिणाम हैं जैसे कि मुस्टेटिल को लेकन हमारी नई अंतरदृष्टि।"
किंगडम्स इंस्टीट्यूट और द जर्नी थ्रू टाइम मास्टरप्लान के बारे में और अधिक जानकारी के लिए, यहां देखें https://ucl.rcu.gov.sa/
इति
मीडिया संबंधी पूछताछ के लिए कृपया आरसीयू जनसंपर्क टीम से यहां संपर्क करें [email protected]
अलउला के बारे में
उत्तर-पश्चिम सऊदी अरब में रियाद से 1,100 किमी दूर स्थित, अलउला असाधारण प्राकृतिक और मानवकृत धरोहरों से परिपूर्ण स्थल है। इसके 22,561 वर्ग किमी के विशाल क्षेत्र में, एक हरी भरी मरु-उद्यान घाटी, बलुआ पत्थर के पहाड़ और हजारों साल पुराना प्राचीन सांस्कृतिक विरासत स्थल शामिल है।
अलउला में सबसे प्रसिद्ध और मान्यता प्राप्त स्थल हेग्रा है, जो सऊदी अरब का पहला यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है। 52-हेक्टेयर में फैला प्राचीन शहर हेग्रा, नबातियन साम्राज्य का प्रमुख दक्षिणी शहर था और जहां अच्छी तरह से संरक्षित लगभग 100 कब्रें हैं जिन्हें बलुआ पत्थर की चट्टानों को बड़ी सुंदरता से काट कर सुसज्जित किया गया है। नए शोध से पता चलता है कि 106 ईस्वी में नबातानों पर विजय प्राप्त करने के बाद हेग्रे रोमनों की सबसे दक्षिणी चौकी थी।
हेग्रा के अलावा, अलउला अनेक आकर्षक ऐतिहासिक और पुरातात्विक स्थलों का घर है, जैसे: एक प्राचीन कस्बा जो एक प्राचीन मरु-उद्यान से घिरा हुआ है; दादन और लिहयान साम्राज्यों की राजधानी दादन, जिसे प्रथम-सहस्राब्दी ईसा पूर्व में अरब प्रायद्वीप के सबसे विकसित शहरों में से एक माना जाता है; जाबाल इकमाह में हजारों प्राचीन पत्थर कला स्थल और शिलालेख; व हिजाज रेलवे स्टेशन।
संपादकों के लिए नोट:
किंगडम्स इंस्टीट्यूट एकाधिक है, स्वत्वबोधक नहीं।
यह हमेशा ही AlUla होता है / न कि Al-Ula ।
रॉयल कमीशन फॉर अलउला के बारे में
रॉयल कमीशन फॉर अलउला (आरसीयू) की स्थापना उत्तर-पश्चिम सऊदी अरब में उत्कृष्ट प्राकृतिक और सांस्कृतिक महत्व के क्षेत्र, अलउला के संरक्षण और विकास के लिए जुलाई 2017 में राजाज्ञा द्वारा की गई थी। आरसीयू की दीर्घकालिक योजना शहरी और आर्थिक विकास के लिए जिम्मेदार, टिकाऊ और संवेदनशील दृष्टिकोण को रेखांकित करती है, जो अलउला को रहने, काम करने और यात्रा के लिए वांछनीय स्थल के रूप में स्थापित करने के साथ साथ क्षेत्र की प्राकृतिक और ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित करता है। इसमें पुरातत्व, पर्यटन, संस्कृति, शिक्षा और कला के क्षेत्र में पहलों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है, जो किंगडम की सऊदी अरब के विजन 2030 कार्यक्रम के आर्थिक विविधीकरण, स्थानीय सामुदायिक सशक्तिकरण, और विरासत संरक्षण प्राथमिकताओं को पूरा करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
तस्वीर: https://mma.prnewswire.com/media/1499035/Kingdoms_Institute_Conceptual_design.jpg
Share this article