मुम्बई, March 19, 2018 /PRNewswire/ --
Godrej Interio द्वारा हाल ही में किये गये एक अध्ययन के अनुसार रात 10 बजे के बाद सोने को नैदानिक दृष्टि से सोने का गलत समय घोषित कर दिया गया है, क्योंकि इससे हमारे नींद के पैटर्न में बदलाव आने लगते हैं, जिससे नींद पूरी नहीं हो पाती। इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप कितने घंटे सोते हैं। यह अध्ययन भारत के महानगरों में रह रहे 8,000 भारतीयों पर किया गया। गृह तथा संस्थागत, दोनों ही क्षेत्रों में भारत की अग्रणी फर्नीचर ब्राँड Godrej Interio ने गत वर्ष sleep@10 अभियान लाँच किया, जो भारत में नींद के अभाव पर बढ़ती चिंता को संबोधित करने पर केंद्रित था। 93% से अधिक भारतीय नींद के अभाव से ग्रस्त हैं।
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यह अध्ययन उन भारतीयों से प्राप्त जानकारियों पर आधारित है, जिन्होंने sleep@10 वेबसाइट पर होस्ट किये गये sleep-o-meter पर स्लीप टेस्ट लिया था। 1.5 लाख से अधिक भारतीयों ने यह स्लीप टेस्ट लिया। मुम्बई को भारत का सबसे अधिक नींद के अभाव से ग्रस्त शहर पाया गया। इस सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि दस में से नौ जवाबदाता सोकर उठने के बाद आलस्य महसूस करते हैं। लगभग 64% जवाबदाताओं ने माना कि 'स्क्रीन टाइम', टेलीविज़न तथा फोन सहित, उनकी नींद को विलम्बित करने का कारण हो सकता है, और 55% जवाबदाताओं ने कहा कि वे मध्यरात्रि के बाद सोते हैं, जबकि सोने का उपयुक्त समय रात 10 बजे के आस-पास होता है। इस अध्ययन ने आगे इस बात का भी खुलासा किया कि समय पर न सोने की समस्या केवल वयस्कों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि बच्चों में भी है और 18 वर्ष से कम आयु के 90% जवाबदाता रात 10 बजे के बाद सोते हैं, जिससे अगली पीढ़ी में नींद का अभाव तेज़ी से बढ़ रहा है।
इस शोध के परिणामों पर टिप्पणी करते हुये, Dr. Preeti Devanani, Sleep medicine specialist, Sleep@10 - Godrej Interio की एक पहल, ने कहा, '‘रात का वह समय जब आप सोते हैं आपकी नींद की संरचना तथा गुणवत्ता की दृष्टि से काफी महत्व रखता है। झपकी 90 मिनट के एक चक्र की होती है, जिसके दौरान आपका मस्तिष्क हल्की नींद की अवस्थाओं से गहरी मंद लहर निद्रा में जाता है जो कि non-Rapid Eye Movement (non-REM) स्लीप तथा Rapid Eye Movement (REM) स्लीप का एक हिस्सा है और स्मृति निर्माण तथा हॉर्मोन के संतुलन के लिये अनिवार्य है। इस चक्र की अवधि तथा प्रतिशत निद्रा अभाव के स्तर के अनुसार अलग-अलग होता है, क्योंकि मस्तिष्क को रिकवरी स्लीप से क्षतिपूर्ति करनी पड़ती है और इससे गुणवत्ता तथा क्रियाशीलता के साथ समझौता हो सकता है। साथ ही, पूरे दिन भर टेक्नोलॉजी तथा कई अन्य उपकरणों की लत और सोने से तुरंत पहले इनके प्रयोग का बढ़ता चलन भी नींद की गुणवत्ता तथा अवधि को प्रभावित कर रहा है। इस आधुनिक जीवनशैली में नींद का अभाव बढ़ती चिंता का कारण बनता जा रहा है।'’
sleep-o-meter के परिणामों पर टिप्पणी करते हुये, Anil Mathur, COO, Interio Division, ने कहा, '‘Godrej Interio में हम राष्ट्र की सेहत के प्रति कटिबद्ध हैं और Sleep at 10 एक ऐसी पहल है, जो सोने की सही आदतों को बढ़ावा देती है, जो कि संपूर्ण स्वास्थ्य तथा उत्पादकता के लिये लाभदायक है। sleep-o-meter अध्ययन इस विषय में जागरूकता पैदा करने के उद्धेश्य से किया गया था, कि कैसे नींद स्वास्थ्य की दृष्टि से अधिक निर्णायक होती जा रही है - और केवल नींद ही नहीं, बल्कि इसकी गुणवत्ता, अवधि और हमारे सोने का समय भी।'’
Godrej Interio द्वारा किये गये सर्वेक्षण में एकत्र sleep-o-meter आँकड़ों के अनुसार, वेबसाइट इस बात का खुलासा करती है, कि 18-25 वर्ष के आयु वर्ग के 29 प्रतिशत जवाबदाता रात 12 बजे से 2 बजे के बीच सोते हैं और 58% मुश्किल से ही कभी 10 बजे सोते हैं, जो कि वास्तव में सोने का बिल्कुल सही समय है। 26-54 वर्ष के आयु वर्ग के जवाबदाताओं में से 36% को सोने के लिये 6 घंटे से भी कम समय मिलता है और केवल 8% जवाबदाता ही रात 10 बजे सो पाते हैं। 55 वर्ष से अधिक आयु वाले जवाबदाताओं में से, 41% रात 10 बजे के बाद, लेकिन 12 बजे से पहले सोते हैं, जबकि 40.4% जवाबदाता 10 बजे बहुत ही कम/कभी नहीं सोते।
साथ ही, ये आँकड़े महानगरों, टियर 2 तथा टियर 3 शहरों के जवाबदाताओं के संदर्भ में प्रतिरूपात्मक क्षेत्रवार अध्ययन भी प्रस्तुत करते हैं। इस शोध से मुम्बई के जवाबदाताओं के विषय में सामने आई जानकारी बताती है, कि 95% शायद ही कभी रात 10 बजे तक सोते हैं, जबकि 35% जवाबदाता मध्यरात्रि 12 बजे से बाद सोते हैं और 34% तो 6 घंटे से भी कम सोते हैं। दिल्ली में, 72% शायद ही कभी रात 10 बजे तक सोते हैं, जबकि 14.36% जवाबदाता मध्यरात्रि 12 बजे के बाद सोते हैं और 30.4% तो 6 घंटे से भी कम सोते हैं। टियर 3 शहरों में केवल 13% जवाबदाता ही रात 10 बजे सोते हैं, जबकि 35% जवाबदाता 6 घंटे से भी कम सोते हैं और केवल 6% ही सोकर उठने के बाद स्वयं को तरो-ताज़ा और दुनिया का सामना करने के लिये तैयार महसूस करते हैं। वयस्कों में जीवनशैली में आया महत्वपूर्ण बदलाव ही नींद के अभाव का सबसे बड़ा कारण है।
Godrej Interio के बारे में:
डिज़ाइन, निर्माण तथा रिटेल में उत्कृष्टता के केंद्र तथा स्थायित्व के प्रति ठोस वचनबद्धता के साथ Godrej Interio (GI) गृह तथा संस्थानिक, दोनों ही क्षेत्रों में भारत की प्रिमियम फर्नीचर
ब्राँड है।
फर्नीचर की श्रेणी में देश की सबसे बड़ी इन-हाउस डिज़ाइन टीम के नेतृत्व में GI को अब तक 14 इंडिया डिज़ाइन मार्क अवॉर्ड्स मिल चुके हैं। उत्कृष्टता हेतु निरंतर प्रयास तथा स्वास्थ्य तथा एर्गोनॉमिक्स पर विशेष ध्यान के साथ GI के पोर्टफोलियो में दफ्तर, घर तथा अन्य विशिष्ट प्रयोगों के लिये उत्पादों की व्यापक रेंज शामिल है।
i. B2B - ऑफिस मॉड्यूलर फर्नीचर, टर्नकी प्रोजेक्ट्स, मरीन अकॉमोडेशन सोल्यूशंस, हेल्थकेयर फर्नीचर तथा लैब फर्नीचर
ii. B2C - होम फर्नीचर एवं स्टोरेज, मैट्रेस तथा किचंस
Godrej Interio की मुम्बई, हरिद्वार, शिरवाल तथा भगवानपुर में सात निर्माण सुविधायें हैं। पर्यावरण के प्रति अपनी वचबद्धता के चलते GI कम एनवायरनमेंट फुटप्रिंट (पर्यावरण पदचिन्ह) के साथ उत्पादों का निर्माण करती है। GI के पास अपने ग्राहकों के लिये हरित विकल्पों की सबसे व्यापक रेंज है, जिसमें न केवल उत्पाद, बल्कि ग्रीन इंटीरिअर्स तथा रीसाइक्लिंग जैसी सेवायें भी शामिल हैं।
GI वर्तमान में 250 एक्सक्ल्यूसिव शोरूम तथा 800 डीलर्स के साथ 650 से भी अधिक शहरों में मौज़ूद है।
ब्राँड को अब तक कई उल्लेखनीय अवॉर्ड हासिल करने का गौरव प्राप्त हो चुका है - CII एक्जि़म बैंक अवॉर्ड फॉर बिजनेस एक्सिलेंस 2016, सुपरब्राँड्स 2015, एशियाज़ मोस्ट एडमायर्ड ब्राँड 2016, रीडर्स डाइजेस्ट मोस्ट ट्रस्टेड ब्राँड 2016 प्लेटिनम (होम फर्नीचर) तथा रीडर्स डाइजेस्ट मोस्ट ट्रस्टिड ब्राँड 2016 गोल्ड (मॉड्यूलर किचन)।
मीडिया संपर्क:
Smita Basu Roy,
[email protected],
+91-9930457801,
General Manager, Godrej Industries
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