ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी ने पीड़ित सहायता पर छठा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया
सोनीपत, भारत, October 30, 2017 /PRNewswire/ --
- सम्मेलन में 14 देशों से 200 से अधिक विशेषज्ञों हिस्सा लेते हैं
- 20 अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालय और 30 भारतीय विश्वविद्यालय एवं संस्थानों भाग ले रहें हैं
- दो दिन के 18 सत्रों के दौरान 115 से अधिक प्रस्तुति गंभीर आहत शास्त्र के मुद्दों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करेंगे
27 व 28 अक्तूबर, 2017 को ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी (जेजीयू) / O.P. Jindal Global University (JGU) अपने सोनीपत स्थित विश्वविद्यालय परिसर में पीड़ित सहायता पर छठा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन (6th International Conference on Victim Assistance) का आयोजन कर रहा है। इस दो दिवसीय सम्मेलन का मुख्य विषय "आहत शास्त्र में विकसित हो रहे दृष्टिकोण" / "Evolving Perspectives in Victimology" है और इसके सत्रों में आहत शास्त्र के विभिन्न पहलुओं पर शिक्षकगण, सरकारी अधिकारी, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, नीति निर्माता और दुनिया भर के छात्र विचार करेंगे।"
पीड़ित सहायता पर छठा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन सेंटर फॉर विक्टिमोलोजी एंड साइकोलोजिकल स्टडीस (सीवीपीएस) / Centre for Victimology & Psychological Studies (CVPS) कर रहा है, जो जेजीयू के मूल्य-आधारित शोध संस्थान, जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) / Jindal Institute of Behavioral Sciences (JIBS) का हिस्सा है।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, जेआईबीएस के प्रमुख निदेशक, प्रोफेसर (डा.) संजीव पी साहनी ने कहा, "जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज तीन साल पुराना संस्थान है। परंतु, जेआईबीएस के तहत सेंटर फॉर विक्टिमोलोजी एंड साइकोलोजिकल स्टडीस (सीवीपीएस) सात साल पुराना है। विश्वविद्यालय में पीड़ित सहायता पर छठा अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में करीबन 300 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं और हम उन सभी का स्वागत करते हैं। हम मानते हैं कि मनोवैज्ञानिक संरचना आहत शास्त्र का एक अनिवार्य हिस्सा है। क्षतिपूर्ति, जो महत्वपूर्ण है, उसके अलावा, पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक समर्थन प्रदान करना उतना ही जरूरी है ताकि वे एक खुशहाल ज़िंदगी गुज़ार सकें"।
यूनिवर्सिटी के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए, ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के सलाहकार, लेफ्टिनेंट जनरल ए. के. सिंह (सेवानिवृत्त) ने कहा, "हालांकि हम 21वीं सदी में प्रौद्योगिकी, आधुनिक प्रक्रियाओं और सर्वोत्तम प्रथाओं के सभी लाभों के साथ प्रविष्ट कर रहें हैं, मानव आयाम में नकारात्मक और सकारात्मक दोनों अवधारणाएं हैं, जिसमें नकारात्मक हिस्सा उत्पीड़न से जुड़ा हुआ है, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्गों पर। जबकि आहत शास्त्र का विषय जाति, पंथ, स्थिति, आदि पर भेदभाव नहीं करता है, भारत में अधिकांश पीड़ित समाज के निचले स्तर से हैं, जहां साक्षरता दर और समाज के मानदंड कमजोर होते हैं। इसलिए, आहत शास्त्र का यह विषय हमारे देश के लिए बेहद प्रासंगिक है। पीड़ितों की सुरक्षा के लिए ज़रूरी है कि कानून का उचित क्रियान्वयन हो, जागरूकता बढ़े, उत्पीड़न के खिलाफ मजबूत सामाजिक मानदंड हों और ऐसी न्याय व्यवस्था बने जो देरी और पीड़ितों के उत्पीड़न के खिलाफ हो।"
सम्मेलन के मुख्य अतिथि,छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल और पूर्व उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, श्री शेखर दत्त ने कहा, "यह महत्वपूर्ण है कि समाज में लोग खुश और स्वस्थ हों, और इसे सुनिश्चित करना समाज के प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है।" हालांकि, उसी समाज में, हम ऐसे लोगों को भी देखते हैं जो पीड़ित हैं और इसका कारण मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और कभी-कभी विशुद्ध रूप से परिस्थितिजन्य हो सकता है। पीड़ितों की मदद करने में समाज एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह महत्वपूर्ण है कि हर व्यक्ति अपने आसपास के लोगों की मदद करें क्योंकि सकारात्मक सहायता से पीड़ित उत्पीड़न से उभर सकते हैं। संक्षेप में, जरूरत है: बेहतर परामर्श, कानून के अधिकारियों द्वारा त्वरित कार्रवाई और एक अधिक सहिष्णु समाज की।"
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के पीड़ितों के अधिकार के आयुक्त, श्री माइकल ओ कोनेल ने अपने प्रारंभिक टिप्पणी में कहा कि "आहत शास्त्र एक सामाजिक विज्ञान है और एक आंदोलन भी। असहिष्णुता, अन्याय, भेदभाव को हटाकर न्याय और समानता को स्थापित करके एक ऐसी दुनिया की रचना करना जिसमें विश्वास और निकटता हो, इसके उद्देश्यों में से एक है।"
सेंटर फॉर विक्टिमोलोजी एंड साइकोलोजिकल स्टडीस के कार्यकारी निदेशक, प्रोफेसर डॉ. गर्ड फर्डिनैन्ड किर्चहोफ, ने कहा कि, "मैं बेहद खुश हूं और गर्वित हूँ कि मैं ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के पीड़ित सहायता पर छठे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन के अवसर पर बोल रहा हूँ। यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि आहत शास्त्र का विषय कक्षाओं में पढ़ाया जाए और विश्वविद्यालय इसे पाठ्यक्रम के भाग के रूप में अपनाएं। मैं बहुत आभारी हूं कि ओ. पी. जिंदल विश्वविद्यालय इसका समर्थन कर रहा है।"
"पुनर्स्थापना न्याय - मूल विषय की विविधताएं" पर प्रधान वाच देते हुए, जर्मनी के टुबिंगेन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एलमर जीएम वीटेकैम्प ने कहा "पुनर्स्थापना न्याय एक आंदोलन है जो दुनिया भर में फैल रहा है। यह संघर्ष के बहुत से क्षेत्रों में लागू किया जा सकता है और यह देशों, गांवों और समुदायों में शांति हासिल करने का एक सार्थक तरीका है।"
सम्मेलन के उप-विषयों में शामिल हैं: विवाद समाधान; आहत शास्त्र में नैतिकता; जातीय उत्पीड़न; लिंग, लैंगिकता और उत्पीड़न; पीड़ित सहायता में शासन; मीडिया और साइबर उत्पीड़न; धर्म और उत्पीड़न; अनुसंधान क्रियाविधि; पुनर्स्थापन न्याय और पीड़ित के अधिकार; पीड़ित सहायता संगठन की भूमिका; राजनीतिक पीड़ित; परिवारों के भीतर उत्पीड़न; माध्यमिक उत्पीड़न; आहत शास्त्र का सैद्धांतिक विकास; चिकित्सीय सहायता; अंतर्राष्ट्रीय उत्पीड़न को समझना; अपराध के शिकार।
जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज के बारे में -
जिंदल इंस्टीट्यूट ऑफ बिहेवियरल साइंसेज (जेआईबीएस) ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी का एक मूल्य-आधारित शोध संस्थान है जो सतत प्रयोग, अनुसंधान और व्यावहारिक व्यवहार विज्ञान से संबंधित मानवीय प्रक्रिया दक्षताओं को समझने, विकसित करने और लागू करने के लिए समर्पित है। यह संस्थान सामाजिक विज्ञान, मानसिक स्वास्थ्य, दक्षता मानचित्रण, तंत्रिका विज्ञान, तंत्रिका निर्णय विज्ञान, संज्ञानात्मक विज्ञान, मनोविज्ञान प्रबंधन विज्ञान, विधि चिकित्साशास्त्र संबंधी विज्ञान, सामाजिक मनोविज्ञान, आपराधिक व्यवहार आदि क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करता है।
जेआईबीएस बहु-विषयक, मात्रात्मक और वैज्ञानिक शोध को बढ़ावा देने का प्रयास करता है ताकि वह एशिया का ऐसा संस्थान बन सके जिसमे नवाचार, शिक्षा, शोध, छात्रवृत्ति और नैदानिक देखभाल में सर्वोत्तम व्यवहारिक और सामाजिक विज्ञान प्रथाओं का उपयोग हो।
ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के बारे में -
जीजीयू, हरियाणा निजी विश्वविद्यालयों (दूसरा संशोधन) अधिनियम, 2009 द्वारा स्थापित, एक गैर-लाभकारी वैश्विक विश्वविद्यालय है। जीजीयू, श्री ओ. पी. जिंदल की स्मृति में, संस्थापक कुलाधिपति श्री नवीन जिंदल के एक परोपकारी प्रयास के रूप में स्थापित किया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी को अपनी मान्यता दी है। जेजीयू का लक्ष्य वैश्विक संकाय के जरिए वैश्विक पाठ्यक्रम, वैश्विक कार्यक्रम, वैश्विक अध्ययन सूची, वैश्विक अनुसंधान, वैश्विक सहयोग और वैश्विक संपर्क को बढ़ावा देना है। जेजीयू दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में 80-एकड़ अद्यतन आवासीय परिसर में स्थित है। जेजीयू एशिया में उन गिने-चुने विश्वविद्यालयों में से एक है जिसमे संकाय-छात्र अनुपात केवल 1:15 है और यह उत्कृष्ट शैक्षणिक योग्यता और अनुभव से पूर्ण दुनिया के विभिन्न भागों से संकाय सदस्यों को नियुक्त करता है।
जेजीयू ने छह स्कूलों की स्थापना की है: जिंदल ग्लोबल लॉ स्कूल, जिंदल ग्लोबल बिजनेस स्कूल, जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स, जिंदल स्कूल ऑफ गवर्नमेंट एंड पब्लिक पॉलिसी, जिंदल स्कूल ऑफ लिबरल आर्ट्स एंड ह्यूमेनिटीज और जिंदल स्कूल ऑफ जर्नलिज़म एंड कम्युनिकेशन।
अधिक जानकारी के लिए कृपया https://www.jgu.edu.in/ पर जाएँ
मीडिया संपर्क:
Ms. Kakul Rizvi
[email protected]
+91-8396907273
अतिरिक्त निदेशक
संचार और सार्वजनिक मामले
ओ. पी. जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी
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