फोर्टिस हॉस्पिटल नोएडा में आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम ने लेट स्टेज कार्डियक अरेस्ट से रोगी की जान बचाई
नोएडा, भारत, January 11, 2016 /PRNewswire/ --
नोएडा के रोगी को दौरा पड़ने के बाद इलाज करके छह मिनट के अंदर मौत के मुंह से वापस लाया गया
फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा में आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम ने 41 साल के एक रोगी की लेट स्टेज कार्डियक अरेस्ट से जान बचाई है। रोगी, राहुल (परिवर्तित नाम) अपने दोस्तों के साथ क्रिकेट खेल रहा था जब अचानक उसके सीने में दर्द उठा और वह गिर गया। उसे 25 दिसम्बर 2015 को अचेत अवस्था में फोर्टिस हॉस्पिटल में लाया गया, उस समय वह सांस नहीं ले रहा था और धड़कन शून्य हो चुकी थी। इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) से निदान करने पर पता चला कि उसे एक्यूट एंटेरियर वाल मायोकार्डियल इन्फ्रैक्शन अर्थात दिल का गंभीर दौरा पड़ा है। डॉ. दीना शाह, प्रिंसिपल कंसल्टैंट एंड हेड ऑफ डिपार्टमेन्ट, इमर्जेन्सी डिपार्टमेन्ट तथा डॉ. परनीश अरोड़ा, एडीशनल डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा ने डॉक्टरों की टीम का नेतृत्व किया।
आपातकालीन टीम ने तत्काल कार्रवाई शुरू की और रोगी को एडवांस्ड कार्डियक लाइफ सपोर्ट (एसीएलएस) प्रोटोकॉल के अनुसार कार्डियोपल्मोनरी रिसक्सिटेशन (सीपीआर) दिया गया। आपातकालीन प्रतिक्रिया के बाद रोगी को उपचार देते हुए छह मिनट के अंदर होश में ले लाया गया, और इस तरह से उसे लगभग मौत के मुंह से वापस खींच लिया गया। बाद में ईसीजी करने पर एक्यूट एंटेरियर वाल मायोकार्डियल इन्फ्रैक्शन का पता चला। 30 मिनटों में (सीपीआर + मूल्यांकन + वेंटिलेटर में लगा समय) उसे तत्काल कार्डियक कैथ लैब में पहुंचाया गया। तब रोगी में डॉ. परनीश अरोड़ा, एडीशनल डायरेक्टर, डिपार्टमेन्ट ऑफ कार्डियोलॉजी, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा द्वारा एक इंट्रा-एओर्टिक बैलून पम्प (आईएबीपी) लगाया गया। इससे धमनियों की रुकावट खुल गई और रोगी को नया जीवन मिला और इसके बाद उसे छुट्टी दे दी गई।
डॉ. दीना जे. शाह, प्रिंसिपल कंसल्टैंट एंड हेड ऑफ डिपार्टमेन्ट, इमर्जेन्सी डिपार्टमेन्ट, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा ने इस संबंध में अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "जब राहुल को हमारे अस्पताल में लाया गया तो वह बहुत नाजुक घड़ी थी। समय बहुत कम था क्योंकि वह सांस नहीं ले रहा था और धड़कन शून्य हो चुकी थी। उसका दिल वेंट्रीक्युलर फाइब्रिलेशन की स्थिति में था। टीम ने तत्काल अपनी कार्रवाई शुरू की। उसे लगभग मौत के मुंह से छह मिनट के अंदर बचा लिया गया। सही निदान, तेज गति से कार्रवाई और एकदम सटीक इलाज ने उसके सफलतापूर्वक ठीक होने में बड़ी भूमिका निभाई। लगभग 30% लोगों में ऐसे लक्षण पाए जाते हैं जो पुरूषों और महिलाओं में समान रूप से मिलते हैं। आपातस्थितियों में इन रोगियों को ठीक करने के लिए हमने एसटीईएमआई विधि लागू की है, जो इन रोगियों का उपचार करने वाली पूरी टीम को सक्रिय कर देती है।"
डॉ. परनीश अरोड़ा, एडीशनल डायरेक्टर, कार्डियोलॉजी, ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "मायोकार्डियल इन्फ्रैक्शन (एमआई), दिल की अचानक मृत्यु, एंथेमिया, कार्डियोजेनिक शॉक, हृदय विफलता का कारण बन सकता है। राहुल को दिल का दौरा पड़ा था। लेफ्ट एंटेरियर डिसेंडिंग (एलएडी) से रूधिर की आपूर्ति थी और समय पर इलाज न मिलने से अनेक समस्याएं हो सकती थीं या वह मर भी सकता था। तत्काल इलाज करके हमने उसकी जान बचाई। हमें प्रसन्नता है कि उपचार का उस पर अच्छा असर हुआ और सफलतापूर्वक ठीक होने के बाद अब उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।"
श्री गगन सहगल, ज़ोनल डायरेक्टर, फोर्टिस हॉस्पिटल, नोएडा ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "हमारे डॉक्टरों की ऐसी सजगता और तत्काल प्रतिक्रिया, सचमुच सराहनीय है। ऐसे मामलों में तेजी से कार्रवाई ही मायने रखती है। दौरा पड़ने के बाद शुरूआती साठ मिनटों के दौरान दिल को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचता है और इसलिए मेडिकल टीम द्वारा बहुत तेजी से तथा एकाग्रतापूर्वक कार्रवाई करना बहुत महत्त्वपूर्ण बन जाता है।"
स्वास्थ्य तथा परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार के नवीनतम आंकड़े बताते हैं कि भारत में लगभग 30 मिलियन दिल के रोगी हैं और हर साल दो लाख सर्जरी की जाती हैं। 30 मिलियन में से लगभग आधे शहरी इलाकों में और शेष ग्रामीण इलाकों में रहते हैं। दिल के रोगों में बढ़ोत्तरी, आपस में जुड़े कई कारणों पर निर्भर है जिनमें वयोवृद्धता, जीवनशैली में परिवर्तन, खान-पान की अनुचित आदतें, और तेजी से उभरते सामाजिक-आर्थिक निर्धारक जैसे कि स्वास्थ्यसेवा तक पहुंच आदि शामिल हैं। वर्तमान में भारत में दिल के रोगों के इलाज के मामले में सामना की जाने वाली प्रमुख चुनौतियों में अस्पतालों की अपर्याप्त संख्या, पहुंच की समस्या, प्रभावी व दक्ष उपचार के ऊंचे खर्चे, तथा गैर-संचारी रोगों के बारे में जागरूकता की कमी आदि शामिल हैं। यदि वर्तमान स्थिति बनी रही तो 2020 तक भारत में दिल के रोगियों की संख्या दुनिया में किसी भी दूसरे देश से ज़्यादा हो जाएगी।
फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड के विषय मेः
फोर्टिस हेल्थकेयर लिमिटेड भारत में एक अग्रणी एकीकृत स्वास्थ्यसेवा प्रदाता हैं। कंपनी के स्वास्थ्यसेवा कार्य में प्रमुख रूप से अस्पताल, डायग्नोस्टिक्स और डे केयर स्पेश्यलिटी सुविधाएं शामिल हैं। वर्तमान में कंपनी 54 स्वास्थ्यसेवा इकाईयों (विकसित की जा रही परियोजनाओं को शामिल करते हुए), लगभग 10,000 शय्याओं और 283 निदान केंद्रों के साथ भारत, दुबई, मॉरीशस और श्रीलंका में अपनी स्वास्थ्यसेवाएं प्रदान कर रही है।
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