मुम्बई, August 10, 2015 /PRNewswire/ --
न्यूज मीडिया उद्योग से जुड़ी एक गंभीर समस्या
टेलीविजन चैनलों की संख्या बढ़ते जाने के साथ, इन बेतहाशा बढ़ते चैनलों के स्वामित्व और सुरक्षा लाइसेंसों के मामलों में आज न्यूज मीडिया उद्योग नाजुक समस्या का सामना कर रहा है। इस उद्योग में आने वालों की कड़ाई से जांच के लिए उद्योग को एक उचित नियामकीय ढांचे की सख्त ज़रूरत है।
(Photo: http://photos.prnewswire.com/prnh/20150807/10128369 )
इस मसले पर चिंता जाहिर करते हुए डॉ. सुभाष चन्द्रा, चेयरमैन, एस्सेल ग्रुप ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि, "लोगों को जागरूक और सशक्त बनाने के लिए राजा राम मोहन राय जैसे स्वतंत्रता सेनानियों द्वारा मीडिया हाउस शुरू किए गए थे। हालांकि आज कुछ कंपनियों ने अपनी गैरकानूनी गतिविधियों की ढाल के तौर पर न्यूज मीडिया बिजनेस शुरू कर दिए हैं। नियमन जटिलताएं, उद्योग के लिए चिंता का विषय हैं और खास रूझान वाले बिजनेस मॉडलों की वजह से कोई गंभीर कंपनी इस उद्योग में निवेश नहीं करना चाहती। अब हमें मान लेना चाहिए कि इन गैरकानूनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाने के लिए मीडिया नियामक की ओर से नियमों का एक सुनिश्चित ढांचा होना ज़रूरी बन गया है।"
मीडिया एक सॉफ्ट पॉवर है जो हमारे जैसे बड़े लोकतंत्र में जनमत बनाती है, ताकि समाज के अन्य स्तंभ कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और यहां तक कि कंपनियां भी, लोकतंत्र को निजी स्वार्थ के लिए इस्तेमाल न कर सकें। टीवी माध्यम, प्रिंट माध्यम से भिन्न है, क्योंकि अखबार केवल शिक्षित लोग पढ़ते हैं जबकि टीवी घर-घर में देखा जाता है और देश के सुदूर ग्रामीण इलाकों में उनकी अपनी स्थानीय भाषाओं में उपलब्ध है। इसलिए टेलीविजन समाज पर ज्यादा असर डालने वाला माध्यम है।
भारतीय रिजर्व बैंक, वित्तीय सेवा क्षेत्र में आने वाली कंपनियों को अनुमति देने से पहले 'उचित और उपयुक्त' मापदंड लागू करता है। यह मापदंड, कंपनियों को पूरी तरह उजागर कर देता है और निधियों के स्रोतों की खोज तथा प्रवर्तकों के रिश्तों को हर कोण से परखा जाता है, क्योंकि ये सेवाएं आम आदमी को आर्थिक रूप से प्रभावित करती हैं। इसलिए यह प्रश्न पूछा जाना चाहिए, 'क्या आम आदमी की मानसिकता को पक्षपातपूर्ण विचारों से प्रदूषित होने से बचाना, उसके पैसे की सुरक्षा करने की तरह महत्त्वपूर्ण नहीं है?'
डॉ. चन्द्रा ने आगे अपनी बात रखते हुए कहा कि, "आज मीडिया, खासतौर से न्यूज चैनलों का स्वामित्व ढंका-छिपा है। हमें अचरज नहीं होना चाहिए यदि इनमें से कुछ चैनल अंडरवर्ल्ड के स्वामित्व में पाए जाएं। मीडिया से जुड़े सुदृढ़ नैतिक नियमों और आचरण संहिता के साथ मीडिया काउंसिल समय की मांग है जो आरबीआई द्वारा बैंकिंग सेक्टर में दी जाने वाली सम्यक तत्परता के समान होनी चाहिए।"
मीडिया के काम-काज में पारदर्शिता की ज़रूरत पर जोर देते हुए डॉ. चन्द्रा ने कहा कि, "यह हालात का तकाजा है कि उद्योग की प्रमुख कंपनियां एकजुट होकर आगे आएं और इन नाजुक मसलों पर मिल-जुलकर आवाज़ बुलंद करें।"
हाल ही में जी बिजनेस चैनल ने मीडिया स्वामित्व और पारदर्शिता पर एक विचारोत्तेजक बहस के जरिए यह मसला उठाया था। संदर्भ के लिए कृपया यह लिंक देखें:
डॉ. सुभाष चन्द्रा का आधिकारिक टि्वटर हैंडल - @_SubhashChandra
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