COVID-19 महामारी की दूसरी लहर ने लगातार दूसरे साल भी आइसक्रीम और फ्रोजेन डेज़र्ट इंडस्ट्रीज को बुरी तरह से प्रभावित किया। IICMA ने केंद्र सरकार और राज्य सरकारों से सहायता मांगी।
अहमदाबाद, भारत, 10 मई, 2021 /PRNewswire/ -- गर्मियां फिर से आ गई हैं, लेकिन इस बार ग्राहकों की प्लेटों में आइसक्रीम नहीं है। इस सेक्टर को प्रोत्साहित करने के सरकारी इरादे के अभाव के कारण लगातार दूसरे वर्ष भी लॉकडाउन और कर्फ्यू के दौरान आइसक्रीम और फ्रोजेन डेज़र्ट्स का बाज़ार ठंडा पड़ा हुआ है। जबकि परिवार के साथ यह अपने पसंदीदा ठंडे-ठंडे फ्लेवर्स का आनंद लेने का यही सही समय है?
लगभग 12,000 छोटे और बड़े आइसक्रीम निर्माता, गंभीर आर्थिक कठिनाइयों से गुजर रहे हैं, और उनमें से ज़्यादातर के लिए अपना कारोबार बंद करने की नौबत आ गई है। शोध से पता चलता है कि लोग जब काम पर होने के बजाय घर पर समय बिताते हैं, तो स्वादिष्ट चीज़ें खाने की उनकी इच्छा अधिक प्रबल होती है। हालांकि आइसक्रीम ऐसी चीज़ है जो हर किसी को मुस्कराहट, खुशियां, आनंद और इम्यूनिटी प्रदान करती है, लेकिन लोग खांसी या जुकाम हो जाने, जो कि COVID-19 के शुरुआती लक्षण होते हैं, की गलतफहमी और डर के कारण इससे बचते हैं।
हाल ही में RBI की ऋण पुनर्गठन नीति में आइसक्रीम उद्योग को मामूली सहायता से वंचित रखा गया, जबकि यह पहले से ही गंभीर हानि के दौर से गुजर रहा है। भारत में, गुजरात में सबसे ज़्यादा आइसक्रीम बिकती है, जिसके बाद महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, कर्नाटक और अन्य राज्यों का नंबर आता है। COVID-19 महामारी से सबसे ज़्यादा प्रभावित राज्यों में ही आइसक्रीम उद्योग और इसके सहायक उद्योगों को भी सबसे ज़्यादा हानि का सामना करना पड़ा है। हालांकि Mr Sudhir Shah अध्यक्ष, IICMA, ने कहा कि, "हमारी दो सबसे तर्कसंगत मांगें स्वीकार करके सरकार आशा की एक किरण जगा सकती है: एक तो GST कम करना, जिसके लिए हम लगभग एक साल से मांग कर रहे हैं, और ब्याज रहित या प्रत्यक्ष नकद सहायता के रूप में फंड सहायता की व्यवस्था।"
इसके अलावा IICMA ने कहा कि पिछले साल से औद्योगिक संस्था, सरकार से GST को 18% की स्लैब से कम करके 12% तक करने का अनुरोध करती रही है, जिस पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। औद्योगिक संस्था, इस उद्योग को कम्पोजीशन स्कीम की श्रेणी में डालने के लिए भी पैरवी करती रही है। इससे डेयरी उद्योगों से समकक्ष होने में मदद मिलेगी, जिनके लिए कर दरें शून्य से 5% या 12% GST तक अपेक्षाकृत काफी कम हैं। जबकि आइसक्रीम, उद्योग को बिना किसी उचित कारण के 18% GST के दायरे में रखा गया है। यह उल्लेख करना महत्त्वपूर्ण है कि आइसक्रीम उद्योग डेयरी उद्योग से प्राप्त कच्चे माल की खपत करता है, जिसका भारत की GDP में 5% हिस्सा है। इस उद्योग की कार्यक्षमता प्रभावित होने से दूध, मक्खन और क्रीम की मांग भी कम हो जाएगी। यह किसानों, और डेयरी उद्योग, तथा सहायक खाद्य प्रसंस्करण (फूड प्रोसेसिंग) उद्योगों से जुड़े लोगों की आजीविका पर असर डाल सकता है।
हालांकि हानियां, कंपनी के लिए नई बात नहीं हैं, लेकिन बाज़ार में डेज़र्ट को लेकर बनता नकारात्मक माहौल एक नई समस्या है। "अब तक हमारे किसी भी अनुरोध पर ध्यान नहीं दिया गया है। अर्थव्यवस्था पर मंडराते संकट के बादलों को देखते हुए सरकार इस सेक्टर को प्रोत्साहित करने के लिए काफी कुछ कर सकती है," ऐसा Mr Ashish A Nahar, सचिव IICMA ने बताया। "मार्च और अप्रैल पहले ही बीत चुके हैं। सरकार के सामने अपना पक्ष साबित करने के लिए हमारे पास बस एक महीने का मौका और बचा है। अगर अब भी कुछ नहीं किया गया, तो बाकी पूरे साल के दौरान हम अपनी हानि का एक हिस्सा भी पूरा नहीं कर पाएंगे", ऐसा उन्होंने आगे बताया। "आइसक्रीम मुख्य रूप से मार्च से मई तक के सबसे ज़्यादा बिक्री वाले सीज़न में ही बेची जाती है। और वर्तमान लॉकडाउन को देखते हुए, हमारी सारी उम्मीदें धूमिल हो चली हैं।," ऐसा उन्होंने आगे बताया।
"सभी राज्य सरकारों को आइसक्रीम उद्योग को सपोर्ट करना चाहिए क्योंकि यह स्थानीय रोजगार (प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष) उत्पन्न करने में काफी योगदान करता है। डेयरी की तरह आइसक्रीम को भी अनिवार्य वस्तुओं के दायरे में लाया जाना चाहिए जैसा कि पिछले साल लॉकडाउन के दौरान कर्नाटक सरकार ने किया था। हम बिजली के बिलों के भुगतान स्थगित करने की भी मांग करते हैं, क्योंकि पूरे देश में हमारी बिक्री अत्यधिक प्रभावित हुई है", ऐसा Pradeep G Pai, कोषाध्यक्ष, IICMA ने बताया।
IICMA, इस महामारी के कारण उत्पन्न संकट का प्रभाव महसूस कर रहा है और वित्त मंत्रालय से अनुरोध है कि इस उद्योग को बचाने के लिए शीघ्र ही निर्णायक कार्यवाही करें। यह सहायता, उद्योग जगत को अपने उत्पादों को ग्राहकों के अनुकूल ढालने के लिए ज़रूरी बल प्रदान कर सकती है। इससे सेमी-फ्रोजेन उत्पादों और आर्गनिक फ्लेवर वाले योगर्ट आदि अन्य कंपनियों को भी मदद मिल सकती है। हो सकता है कि अगली बार जब आप आइसक्रीम के किसी स्टोर पर जाएं तो आपको ढेर सारे विकल्प देखने को मिलें।
Indian Ice Cream Manufacturer's Association (IICMA) के बारे में।
The Indian Icecream Manufacturer's Association की स्थापना 2011 में आइसक्रीम निर्माताओं की राष्ट्रीय एसोसिएशन के रूप में की गई थी। यह भारत में आइसक्रीम और फ्रोजेन डेज़र्ट्स उद्योग का प्रतिनिधित्व करने वाला पेशेवर अलाभकारी संगठन है।
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Secretary General, IICMA, Indian Ice Cream Manufacturer's Association
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