15 लाख लड़कियों को स्कूल वापस जाने के लिए सशक्त करने के एजुकेट गर्ल्स के हल को एमआईटी लर्निंग फॉर गर्ल्स एंड वीमेन चैलेंज 2020 में चुना गया
इसके साथ, एजुकेट गर्ल्स अब उन 35 तकनीकी-आधारित सामाजिक उद्यमियों में से एक है जो अपने नवीन सामाजिक परिवर्तन समाधानों के द्वारा वैश्विक चुनौतियों को संबोधित करते हैं।
मुंबई, भारत, 21 अक्टूबर 2020 /PRNewswire/ -- भारत के दूरस्थ, ग्रामीण क्षेत्रों में काम करने वाली एक गैर-लाभकारी संस्था, एजुकेट गर्ल्स ने बताया कि 'स्कूल जाने के लिए 15 लाख लड़कियों को सशक्त' करने के उसके हल को एमआईटी सॉल्व चैलेंज फाइनल में 2020 के नए सॉल्वर क्लास के रूप में चुना गया है।
मैसाचुसेट्स इन्स्टिट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी – (एमआईटी) की एक पहल, MIT सॉल्व , नवाचार सामाजिक प्रभाव के लिए एक विपणन स्थान है। शामिल किये गए 2020 के सॉल्वर क्लास को सॉल्व के विशेषज्ञ न्यायाधीशों द्वारा 135 देशों के 2,600 से अधिक आवेदकों के समूह में से चुना गया है। लर्निंग फॉर गर्ल्स एंड वीमेन कैटेगरी में सर्वश्रेष्ठ 7 में जगह बनाते हुए, एजुकेट गर्ल्स अब 35 तकनीकी-आधारित सामाजिक उद्यमियों के 2020 के नए सॉल्वर क्लास में है, जो अपने नवीन सामाजिक परिवर्तन समाधानों के द्वारा वैश्विक चुनौतियों का सामना करते हैं।
एजुकेट गर्ल्स का हल इस वर्ष की चुनौती को सीधे संबोधित करता है - सीमान्त व् आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों में रहने वाली लड़कियों और युवा महिलाओं को सफलता प्राप्त करने हेतु गुणवत्ता शिक्षा तक पहुँच कैसे बनानी चाहिए? इस बारे में विस्तार से एजुकेट गर्ल्स की संस्थापक सफीना हुसैन कहती हैं, "हमारा कार्यक्रम मॉडल सभी लड़कियों तक गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्ति की पहुँच को सुनिश्चित करने के लिए व्यवहारिक, सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन पर केंद्रित है। हम विद्यालय न जाने वाली लड़कियों के लिए अधिकतम नामांकन, ठहराव और बेहतर शिक्षण परिणामों को सुनिश्चित करने के लिए उन्नत विश्लेषिकी और सामुदायिक आउटरीच का उपयोग करते हैं।"
अपने स्थापना के समय सन 2007 से ही एजुकेट गर्ल्स संस्था अनामंकित लड़कियों अथवा विद्यालय न जाने वाली लड़कियों (विद्यालय छोड़ देने वाली लड़कियों) को शिक्षा की मुख्य धारा से वापस जोड़कर, देश में लिंग और साक्षरता के अंतर को कम कर रही है। सरकार और टीम बालिका नामक सामुदायिक स्वयंसेवकों के साथ साझेदारी में काम करते हुए संस्था राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के स्कूलों में काम कर रही है । शिक्षा में अपने काम के लिए कई प्रशंसा प्राप्त करते हुए, एजुकेट गर्ल्स दुनिया के पहले डेवलपमेंट इम्पैक्ट बॉन्ड में अपनी सफलता तथा एशिया में पहली ऑडेशियस प्रोजेक्ट बनने के लिए जानी जाती है ।
तकनिकी मदद और मशीन लर्निंग के उपयोग से, संगठन ने उन 5% गावों की पहचान की है जिसमें भारत की 40% विद्यालय न जाने वाली लड़कियां हैं। इन लड़कियों की पहचान, उनके नामांकन और ठहराव पर अपना ध्यान केंद्रित करते हुए, एजुकेट गर्ल्स ने अपने उपचारात्मक पाठ्यक्रम के माध्यम से निरंतर सीखने को सुनिश्चित किया है। अब तक, 13 लाख से अधिक बच्चों के सीखने के परिणामों में एजुकेट गर्ल्स ने सुधार किया है।
एजुकेट गर्ल्स के बारे में: एजुकेट गर्ल्स एक गैर लाभकारी संगठन है जो भारत के ग्रामीण और शैक्षिक रूप से पिछड़े क्षेत्रों में लड़कियों की शिक्षा के लिए समुदायों को जुटाने पर अपना ध्यान केंद्रित करती है। सरकार के साथ साझेदारी में काम करते हुए, एजुकेट गर्ल्स वर्तमान में राजस्थान, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के 18,000 से अधिक गांवों में सफलतापूर्वक काम कर रही हैं। सामुदायिक स्वयंसेवकों के एक विशाल समूह के साथ जुड़कर, एजुकेट गर्ल्स स्कूल न जाने वाली लड़कियों की पहचान और उनके नामांकन व् ठहराव में मदद करती है, और सभी बच्चों (लड़कियों और लड़कों) की साक्षरता और संख्यात्मकता के मूलभूत कौशलों में सुधार करने में मदद करती हैं। और जानें www.EducateGirls.ngo | LinkedIn | Facebook | Twitter | Instagram | Blog | YouTube
एमआईटी सॉल्व के बारे में: सॉल्व, मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) की एक पहल है जिसका लक्ष्य है दुनिया की चुनौतियों का समाधान करना। सॉल्व नवीन सामाजिक प्रभाव के लिए एक विपणन स्थान है। ओपन इनोवेशन चैलेंज के जरिए सॉल्व दुनिया भर के सर्वश्रेष्ठ तकनिकी आधारित सामाजिक उद्यमियों को ढूंढता है। सॉल्व इन उद्यमियों के परिवर्तनकारी और स्थायी प्रभाव को समर्थन व् वित्तीय मदद और सहायता देने हेतु MIT के नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र और सदस्यों के एक समुदाय को एक साथ लाता है।
इस यात्रा में सॉल्व के साथ solution.mit.edu पर जुड़ें।
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Sumedha Mahorey
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