बेंगलुरू, भारत, 10 मई, 2024 /PRNewswire/ -- आर्ट ऑफ लिविंग निःशुल्क, मूल्य-संचालित शिक्षा प्रदान करता है। यह संगठन भारत के शहरी, दूर के ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों सहित 22 राज्यों में 1,262 निःशुल्क स्कूल का संचालन करता है। 1,00,000 से अधिक संतुष्ट बच्चे तनाव मुक्त माहौल में अद्वितीय, मूल्य-आधारित समग्रतात्मक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के दृष्टिकोण से प्रेरित आर्ट ऑफ लिविंग का उद्देश्य सभी लोगो को अपनेपन की भावना और जीवन के प्रति व्यापक दृष्टिकोण के साथ विकसित करना है।
मनु की कहानी: द आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल का छात्र
गरीबी एक क्रूर विरोधी है। इसकी एक मजबूत पकड़ है जो हर बीतते दिन के साथ मज़बूत होती जाती है, जिससे इसके शिकार लोग अस्तित्व के लिए एक स्थायी संघर्ष में असहाय हो जाते हैं। इसका गहरा प्रभाव पड़ता है जिस से परिवारों अपनी महत्वाकांक्षाओं और संभावनाओं से वंचित हो जाता हैं और वह गरीबी और अनिश्चितता के कभी न खत्म होने वाले चक्र में फंस जाते है।
फिर भी, उम्मीद जीवित है। ऐसे ही एक परिवार का एक युवा लड़का अपने ऊपर बंधी बेड़ियों को तोड़ कर विजेता बनकर उभरा है।
एक संघर्षरत परिवार के छोटे बेटे मनु से मिलें। मनु की माँ सीता देवी, एक साधारण महिला हैं जो पड़ोस के बच्चों की देखभाल करके अपनी कमाई का जुगाड़ करती हैं। मनु के पिता, चिलचिलाती धूप में कुली का काम कर के एक छोटी सी आजीविका का जुगाड़ करते हैं; न केवल अपनी कठिनाइयों से, बल्कि उन शारीरिक बोझ से भी, जिन्हें उन्हें उठाना पड़ता है। अपनी आय को पूरा करने के लिए, परिवार बरसात के मौसम के दौरान कुछ महीनों के लिए बुनियादी मौसमी खेती में काम करता है। इस गरीब परिवार के लिए हर दिन यह चिंता लेकर आता है कि अगला रुपया कब आएगा। आर्थिक तंगी से उन पर भारी बोझ पड़ता है। उनके पास अपने दो बेटों को पढ़ाने की बहुत कम संभावना थी क्योंकि उनको घर चलाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा था।
मनु झारखंड के खूंटी में आर्ट ऑफ लिविंग फ्री स्कूल का छात्र है - एक प्रतिभाशाली छात्र। वह हाल की 2024 की जिला परीक्षाओं में दसवीं कक्षा में आश्चर्यजनक 92.4% अंक प्राप्त करके चौथे स्थान पर रहा। मनु पहली पीढ़ी का छात्र है, जैसे कि आर्ट ऑफ लिविंग के मुफ्त स्कूलों में जाने वाले अधिकांश बच्चे हैं। उनके माता-पिता को कभी भी स्कूल जाने का अवसर नहीं मिला; दरअसल, ऐसी संभावना का ख्याल उनके दिमाग में कभी आया ही नहीं। स्वाभाविक रूप से, वे आभारी हैं कि उनके समुदाय में आर्ट ऑफ़ लिविंग के निःशुल्क स्कूल ने उनके दोनों बेटों को शिक्षा का बहुमूल्य उपहार दिया है। उनका बड़ा बेटा सेना में करियर के लिए तैयारी कर रहा है; जबकि मनु की सफलताओं ने उनके माता-पिता को भविष्य की आशा दी है। तमाम बाधाओं के बावजूद वह बंजर खेत में एक फूल की तरह विकसित हुआ। उनकी उपलब्धि एक परीक्षा प्रतिशत से भी आगे निकल जाती है, यह मानव आत्मा की विपरीत परिस्थितियों से उबरने की क्षमता को प्रदर्शित करता है। मनु के माता-पिता उसे सिर्फ एक बेटे और एक छात्र से कहीं अधिक मानते हैं, वह शिक्षा की परिवर्तनकारी क्षमता और बेहतर कल के वादे का प्रतीक है।
आर्ट ऑफ लिविंग - सामाजिक परियोजनाओं के बारे में
आर्ट ऑफ लिविंग एक गैर-लाभकारी, शैक्षणिक और मानवीय संगठन है जिसकी स्थापना 1981 में विश्व प्रसिद्ध मानवतावादी और आध्यात्मिक नेता गुरुदेव श्री श्री रविशंकर ने की थी। आर्ट ऑफ लिविंग की सामाजिक परियोजनाओं का लक्ष्य ग्रामीण भारत के दूरदराज के इलाकों तक पहुंचना और सभी को टिकाऊ जीवन जीने के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करना है।
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