जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज की बेटी सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी को श्रद्धांजलि: निःस्वार्थ सेवा की प्रतिमूर्ति
नई दिल्ली, 2 दिसंबर, 2024 /PRNewswire/ -- जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी की पावन स्मृति में 28 नवंबर से 10 दिसम्बर 2024 तक विशेष साधना शिविर का आयोजन किया गया है।
जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) की अध्यक्षा सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी का 24 नवंबर 2024 को 75 वर्ष की आयु में गोलोकवास हो गया। उनका जीवन भक्ति, विनम्रता और मानवता की सेवा का एक अद्वितीय उदाहरण था, जो उनके पूज्य पिता एवं गुरु, जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज की शिक्षाओं से प्रेरित था।
नेतृत्व की एक अनमोल परम्परा
जगद्गुरु कृपालु परिषत् (जेकेपी) की अध्यक्षा के रूप में डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने संस्था की व्यापक आध्यात्मिक, शैक्षिक एवं जन-कल्याणकारी गतिविधियों का कुशल प्रबंधन कर अगणित जीवों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी। उनके नेतृत्व में दूरदर्शिता, विनम्रता और सक्रिय सहभागिता का दुर्लभ संयोग देखने को मिला।
2000 के दशक के प्रारम्भ में, जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज ने उन्हें जेकेपी का नेतृत्व सौंपा। 2013 में उनके महाप्रयाण के पश्चात्, डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी ने इस मिशन को न केवल सुचारु रूप से जारी रखा, बल्कि उसे नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
मानवता के प्रति समर्पण
स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाज कल्याण के क्षेत्र में उनका अनुपम योगदान था:
- स्वास्थ्य सेवा: उन्होंने श्री कृपालु धाम मनगढ़, वृंदावन और बरसाना में तीन 100% निःशुल्क अस्पतालों की स्थापना और संचालन किया जहाँ 55 लाख से अधिक मरीजों का इलाज किया जा चुका है। डॉक्टरी परामर्श, सर्जरी, दवाएं और अस्पताल में भर्ती तक हर सेवा पूर्णतया निःशुल्क एवं जरूरतमंदों के प्रति गरिमा से भरे भाव से की जाती है।
- शिक्षा: जेकेपी एजुकेशन के माध्यम से उन्होंने उत्तर प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में 60,000 से अधिक बालिकाओं के जीवन को बदला। उनके नेतृत्व में जगद्गुरु कृपालु शिक्षण संस्थानों में नर्सरी से लेकर स्नातकोत्तर स्तर तक निःशुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है। साथ ही छात्राओं को किताबें, यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, साइकिल आदि भी समय-समय पर दी जा रहीं हैं। इन शिक्षण संस्थानों में प्रयोगशाला एवं पुस्तकालय जैसे आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध हैं।
- सामाज कल्याण: उनके नेतृत्व में प्रति वर्ष हज़ारों जरूरतमंद विधवाओं, साधुओं, बच्चों, रोगियों एवं गरीबों के लिए बड़े पैमाने पर वितरण कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता रहा है जिसमें कंबल, स्वेटर, व्हीलचेयर, बर्तन आदि आवश्यक वस्तुएं बांटी जाती हैं।
प्राणी मात्र की सेवा के लिए अपने संकल्पों को पूरा करने हेतु डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी को कठिन परिश्रम के साथ-साथ निरंतर अनुदान के माध्यम से प्रचुर धन राशि जुटाने की आवश्यकता होती थी। उन्होंने देश एवं दुनिया के हज़ारों लोगों को जगद्गुरु कृपालु परिषत् द्वारा किये जा रहे इन सभी जनकल्याण के कार्यों हेतु दान करने के लिए प्रेरित किया। आज इन कार्यक्रमों के माध्यम से प्रति वर्ष 5 लाख मरीजों, हज़ारों छात्राओं और निर्धन ग्रामवासियों को सहायता प्रदान की जा रही है।
सम्मान एवं पुरस्कार
उनके निःस्वार्थ सेवा कार्यों के लिये उन्हें कई राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों द्वारा सम्मानित भी किया गया:
1. आशाएं अवार्ड (2012)
2. राजीव गांधी ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड (2012, 2013)
3. नारी टुडे अवार्ड (2013)
4. मदर टेरेसा एक्सीलेंस अवार्ड (2013)
5. नेल्सन मंडेला पीस अवार्ड (2014)
6. ज़ी अचीवर्स अवार्ड (2014)
7. ऑल इंडिया दलित मुस्लिम मोर्चा अवार्ड
8. आइ-नेक्स्ट अचीवर्स अवार्ड (2015)
9. ज़ी संगम सम्मान अवार्ड (2015)
10. यूपी महोत्सव अवार्ड (2015)
11. टॉप 50 इंडियन आइकन अवार्ड (2016)
12. स्वस्थ हिंदुस्तान अवार्ड (2017)
13. विजनरी ऑफ उत्तर प्रदेश अवार्ड (2017)
14. ज़ी टीवी यूपी-उत्तराखंड चैनल अवार्ड (2017)
15. नेपाल के उपराष्ट्रपति द्वारा सम्मानित (2018)
16. वर्ल्ड आइकॉन अवार्ड (2018, थाईलैंड)
विनम्रता एवं करुणा की प्रतिमूर्ति
अनेकों उपलब्धियाँ प्राप्त होने पर भी डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी का व्यक्तित्व सादगी एवं विनम्रता भरा था। इनका जन्म उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गांव में हुआ। इन्होंने अपनी शिक्षा बहुत ही साधारण स्तर के साधकों के घरों में रहकर, सभी घरेलू कार्यों यथा खाना बनाना, सफाई करना आदि में हाथ बटा कर प्राप्त की जिससे ये सभी स्तरों के लोगों से सहजता से जुड़ पाती थीं।
वह एक कुशल चित्रकार थीं। जगद्गुरु कृपालु परिषत् के आश्रमों में सुशोभित उनके द्वारा बनाई गयी अद्भुत कलाकृतियाँ असंख्य साधकों के लिए आध्यात्मिक प्रेरणा का स्त्रोत हैं। वह एक प्रतिभाशाली फोटोग्राफर भी थीं तथा उन्हीं के अथक परिश्रम के फल-स्वरूप ही आज विश्व को जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज के जीवन के अमूल्य क्षण तस्वीरों एवं वीडियो के रूप में उपलब्ध हैं।
साथ ही साथ इन्होंने परिषत् की आध्यात्मिक गतिविधियों, जैसे साधना शिविर, प्रकाशन, डिजिटल मीडिया आदि का नेतृत्व कर अनगिनत साधकों का मार्गदर्शन भी किया।
इन्होंने 'दैनिक जीवन में आध्यात्मिकता' पर एक बहुत ही लोकप्रिय 4-खंड पुस्तक श्रृंखला लिखी है। साथ ही टाइम्स ऑफ इंडिया में आध्यात्मिकता पर द स्पीकिंग ट्री के लिए लेख भी लिखे हैं।
भक्ति मंदिर, प्रेम मंदिर और कीर्ति मंदिर के निर्माण में इनकी विशेष भूमिका रही तथा जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को समर्पित गुरुधाम मंदिर का निर्माण इन्हीं के अहर्निश परिश्रम का परिणाम है।
एक अखंड निष्ठा
एक बार श्री महाराज जी से 'विशाखा' का अर्थ पूछा गया तो उन्होंने कहा कि यह दिव्य प्रेम की एक विशेष शाखा है। यह उनके जीवन और कार्यों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता था।
उन्हें प्राप्त उपाधियाँ उनके भगवान् और गुरु की निःस्वार्थ सेवा के प्रति उनके अटल समर्पण के सामने गौण थीं। अंतिम श्वास तक इन्होंने जो कुछ भी किया, वह जीवन के एकमात्र लक्ष्य हरि-गुरु सेवा के लिए ही था। उनका हर दिन प्रातः 1 बजे प्रारम्भ होता और जीवन का हर क्षण अर्थपूर्ण सेवा को समर्पित रहता।
75 वर्ष की आयु, जो रिटायरमेंट की उम्र से काफी आगे है में भी उन्होंने सिंगापुर और अमेरिका की यात्रा की तैयारी की थी। इस यात्रा का उद्देश्य जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज को समर्पित एक संग्रहालय के निर्माण के लिए बैठक में भाग लेना था। आप साधकों, महिलाओं और सभी के लिए एक प्रेरणादायक व्यक्तित्व हैं और सदैव रहेंगी।
वर्ल्ड आइकन पुरस्कार स्वीकार करते हुए इन्होंने कहा था, "मैं यह पुरस्कार हमारे गुरुदेव, जगद्गुरु श्री कृपालु जी महाराज को समर्पित करती हूँ, जिन्होंने उदारतापूर्वक दान दिया और हमें ज़रूरतमंदों की सेवा करना सिखाया। उन्होंने अक्सर हमें सिखाया कि शास्त्रों में कहा गया है कि हमें केवल बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए आवश्यक धन का उपयोग करने का अधिकार है। बाकी का उपयोग समाज के उत्थान के लिए किया जाना चाहिए। इन कार्यों के माध्यम से, हम निरंतर अपने गुरु की सेवा करने का प्रयास करते हैं और भविष्य में भी ऐसा करते रहेंगे।"
उनकी विरासत को आगे बढ़ाना
जगद्गुरु कृपालु परिषत् उनकी विरासत को आगे बढ़ाने और उनके आध्यात्मिक व सामाजिक उत्थान के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उनकी छोटी बहनें, सुश्री डॉ. श्यामा त्रिपाठी जी और सुश्री डॉ. कृष्णा त्रिपाठी जी, जगद्गुरु कृपालु परिषत् की अध्यक्षा के रूप में सभी निःस्वार्थ सेवा कार्य यथावत् जारी रखेंगी।
अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें:
फोन: 8882480000
ईमेल: [email protected]
जगद्गुरु कृपालु परिषत् अपने संस्थापक, जगद्गुरूत्तम श्री कृपालु जी महाराज एवं अध्यक्षा आदरणीया सुश्री डॉ. विशाखा त्रिपाठी जी की इस प्रेम, सेवा और भक्ति की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। आने वाली पीढ़ियाँ इनको एवं इनकी विरासत को सदैव याद रखेंगी।
Photo: https://mma.prnewswire.com/media/2570554/Jagadguru_Kripalu_Parishat.jpg
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