बेंगलुरु, भारत, 4 जनवरी, 2024 /PRNewswire/ -- बढ़ते हुए जल संकट पर तत्काल ध्यान दिए जाने और त्वरित कार्रवाई करने की आवश्यकता है। ऐसा कहा जाता है कि कई नदियों के तेजी से सूखने के कारण इस उपमहाद्वीप का लगभग 54% भाग पानी की कमी वाले धूल के कटोरे में बदल गया है। यह स्थिति धीरे-धीरे चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है। सहायक नदियों में जल प्रवाह कम होने के कारण वर्ष भर बहने वाली नदियाँ अब कुछ विशिष्ट मौसमों में ही बहती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि हमने इसके लिए कोई निवारक उपाय नहीं किए तो 2025 तक देश को गंभीर जल संकट का सामना करना पड़ेगा।
इस स्थिति से निपटने के लिए, आर्ट ऑफ लिविंग एक दशक से वैज्ञानिकों, भूवैज्ञानिकों और कई अन्य विशेषज्ञों की एक टीम के साथ-साथ कई स्वयंसेवकों के साथ मिलकर पूरे भारत में नदी घाटियों को पुनर्जीवित करने के लिए सक्रिय रूप से काम कर रहा है।
बहुआयामी दृष्टिकोण
गुरुदेव श्री श्री रविशंकर के मार्गदर्शन में, इस भूजल संकट का दीर्घकालिक समाधान बनाने के लिए इस नदी पुनर्जीवन परियोजना टीम का गठन किया गया। यह टीम कोई भी समाधान लागू करने से पहले विभिन्न स्तरों पर विस्तृत शोध और विश्लेषण करती है। इस बहु-आयामी दृष्टिकोण में व्यापक सामुदायिक गतिशीलता और क्षमता निर्माण, वनीकरण, भूजल पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण, मिट्टी संरक्षण के उपाय, क्षेत्र एवं जल निकासी लाइन उपचार और स्थायी कृषि शामिल हैं।
यह पद्धति वर्षा जल के बहाव को कम करने के लिए बोल्डर चेक के निर्माण, वर्षा जल संचयन के माध्यम से जल संरक्षण के लिए तालाबों में रिचार्ज शाफ्ट और मिट्टी के कटाव को कम करने और मिट्टी की नमी को बेहतर बनाने के लिए वृक्षारोपण करने पर केंद्रित है। उपयुक्त स्ट्रीम नेटवर्क के साथ रिचार्ज कुएं भूजल पुनर्भरण की प्राकृतिक प्रक्रिया को तेज करते हैं और सक्रिय चैनल (पारगम्य क्षेत्र) में जमीन के नीचे बने अवरोध के रूप में उपसतह डाइक, आधार प्रवाह को नीचे की ओर बहने से रोकता है और नदी के ऊपरी हिस्से पर जल स्तर को बढ़ाता है।
यह परियोजना भारत की जल सुरक्षा में, 70 नदियों और झरनों को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है। यह 59,000+ वर्ग कि.मी. के कुल क्षेत्रफल में सक्रिय है, 8 राज्यों में इसका कार्य प्रगति पर है। नदी घाटियों के किनारे 7,00,000+ पेड़ लगाए और लगभग 90,000+ संरचनाएँ बनाईं गयीं। इस परियोजना के सौजन्य से 3.45 करोड़ लोगों के जीवन को लाभ हुआ है। आर्ट ऑफ लिविंग नदी पुनर्जीवन परियोजना के हस्तक्षेप के बाद सूखी नदियों/झरनों के अब पूरे जोरों पर बहने के अनगिनत उदाहरण हैं।
भारत के विभिन्न राज्यों में प्रभाव एवं परिणाम
आर्ट ऑफ लिविंग ने 44,000+ महिला स्वयंसेवकों की मदद से तमिलनाडु में नागनधी नदी को सफलतापूर्वक पुनर्जीवित किया है, जिन्होंने इस कठिन कार्य को संभव बनाने के लिए लगन से काम किया। इन महिलाओं ने 5,000 से अधिक पुनर्भरण कुओं और 1,000 से अधिक बोल्डर चेक का निर्माण करके 366 वर्ग किमी जलग्रहण क्षेत्र को पुनर्जीवित किया है। जो नदी लगभग 20 वर्षों तक सूखी थी, आज 2 साल से अधिक दिनों से बह रही है। इस प्रयास की प्रशंसा हुई है, माननीय प्रधान मंत्री ने स्वयं अपने प्रसारण 'मन की बात' में इन महिलाओं के काम का उल्लेख किया है।
कर्नाटक में कुमुदवती, वेदवती, पलार और कुछ आंशिक रूप से कवर नदी घाटियों को पुनर्जीवित किया जा रहा है। इस परियोजना ने राज्य की 12 नदियों और नालों को प्रभावित किया है और 13,000 से अधिक गांवों को लाभान्वित किया है।
महाराष्ट्र में, टीम ने 33 नदियों/नालों का कायाकल्प किया है, 45,000+ संरचनाओं का निर्माण किया है जिससे 20,75,000+ लोगों को लाभ हुआ है। 27 जिलों में 940+ वर्ग किमी क्षेत्र को प्रभावित करने वाले 2,67,44,900+ घन मीटर से गाद निकाली गई।
केंद्रीय भूजल बोर्ड की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में इस नदी पुनर्जीवन कार्य से 41 गांवों को लाभ हुआ है और 2 ब्लॉकों - चमरौआ और सैदनगर की स्थिति अनुकूल रूप से बदल गई है।
आंध्र प्रदेश में, कडप्पा और अनंतपुर जिलों में पेन्ना और पापागनी नदी घाटियों में नदी पुनर्जीवन भी शुरू हो गया है।
आर्ट ऑफ लिविंग नदी पुनर्जीवन टीम ने हरियाणा, पंजाब और राजस्थान में जल संरक्षण कार्य को बेहतर बनाया है।
उपर्युक्त नदियों का विवरण उन कई नदी घाटियों में से केवल कुछ हैं जो आर्ट ऑफ लिविंग द्वारा नदी पुनर्जीवन परियोजना की सफलता की कहानी का हिस्सा हैं।
इस परियोजना का प्रभाव विभिन्न मोर्चों पर आश्चर्यजनक रहा है। इससे भूजल स्तर में वृद्धि हुई है, फसल उत्पादन अनुकूलित हुआ है, मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है और किसानों की आय दोगुनी हो गई है। इसने नदियों को पुनर्जीवित करने, जीवन को फिर से जगाने और आशा का पुनर्निर्माण करने में मदद की है। आर्ट ऑफ लिविंग नदी पुनर्जीवन परियोजना यह सुनिश्चित करती है कि भारत जल संकट से उबरने के करीब है।
आर्ट ऑफ लिविंग के बारे में: सामाजिक परियोजनाएँ
आर्ट ऑफ लिविंग विश्व-प्रसिद्ध मानवतावादी और आध्यात्मिक अग्रणी गुरुदेव श्री श्री रविशंकर द्वारा स्थापित एक गैर-लाभकारी, शैक्षिक और मानवतावादी संगठन है, जिसका उद्देश्य भारत के हर कोने तक पहुंचना और नदियों को पुनर्जीवित करके देश के बढ़ते जल संकट का समाधान करना है।
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