बेंगलुरु, भारत, 11 अक्टूबर 2023 /PRNewswire/ -- भूमिगत जल का स्तर विश्व में एक गंभीर समस्या बना हुआ है। भारत दुनिया में भूमिगत जल का सबसे बड़ा उपयोगकर्ता है - वैश्विक निष्कर्षण का 25% से अधिक के लिए जिम्मेदार, भारत भर के 256 जिलों में भूमिगत जल स्तर गंभीर/अति-शोषित है। दूसरी ओर, भारी वर्षा ने मिट्टी की गुणवत्ता को नष्ट कर दिया है और इसलिए किसानों द्वारा उगाई जाने वाली फसलों की गुणवत्ता भी ख़राब हो गयी है। वर्ष 2017-21 की अवधि में महाराष्ट्र के आसपास के क्षेत्रों में गन्ना और चावल जैसी फसलों की बर्बादी में वृद्धि देखी गई। वनों की कटाई के कारण वर्षा का जल खेतों में भर जाने से किसानों की होने वाली दुर्दशा को ध्यान में रखते हुए, सरकार ने बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का निर्णय लिया।
जलतारा परियोजना
आर्ट ऑफ़ लिविंग के संस्थापक गुरुदेव श्री श्री रविशंकर का दृष्टिकोण भारत को मौजूदा जल समस्याओं से उबारने का है जलतारा इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में अत्यधिक बाढ़ और सूखे की समस्या को समाप्त करना है और किसानों और ग्रामीणों के भाग्य में सकारात्मक बदलाव लाना है। इस साहसिक खोज का लक्ष्य पूरे भारत में प्रत्येक वर्ष 30 ट्रिलियन लीटर से अधिक भूमिगत जल का पुनर्भरण करना है।
जलतारा परियोजना भारत में जल की कमी की समस्या को हल करने के लिए एक सार्थक पहल है। इस परियोजना के लिए सबसे महत्वपूर्ण हितधारकों जैसे कि किसानों और ग्रामीणों को प्रशिक्षित करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि वे प्रत्येक वर्ष मानसून के जल को संरक्षित कर सकें और उन्हें भूमिगत जलभृतों में संग्रहित कर सकें - इस उद्देश्य के लिए अनुभवी भूवैज्ञानिकों, वाटरशेड और परियोजना प्रबंधन विशेषज्ञों की एक एकीकृत टीम तैनात की गई है।
जलतारा का जागरूक दृष्टिकोण
जलतारा पद्धति काफी प्रभावशाली है और मुख्य चुनौती वर्षा जल का उपयुक्त निपटान करना तथा भूमिगत जल का प्रबंधन करना है। यह भूमिगत जल भारत में की जाने वाली कृषि के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह भारत की 80% से अधिक जल और कृषि आवश्यकताओं को पूरा करने का एक स्रोत है, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में भूमिगत जल का स्तर तेजी से नीचे गिर रहा है। हाल के वर्षों में वनों की कटाई और जल विज्ञान चक्र के बाधित होने के कारण इसकी उपलब्धता में बाधा आई है। इससे भारत के अधिकांश गांवों और खेतों में विभिन्न प्रकार की जल समस्याएं पैदा हो गई है।
जलतारा का दृष्टिकोण इस समस्या की स्थिति को प्रभावी ढंग से लक्षित करता है। लोगों को अपनी जलवैज्ञानिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भूमिगत जल के अलावा और भी चीजों पर निर्भर रहना चाहिए तथा इसके लिए वर्षा के जल का प्रबंधन कुशलतापूर्वक करना होगा। भारत में भूमिगत जल के भंडारण को प्रति वर्ष खरबों तक बढ़ाने और जल संकट को कम करने के लिए पुनर्भरण संरचनओ को फिर से भरने का कार्य शुरू किया गया है। आर्ट ऑफ़ लिविंग के सेवकों के अनुकरणीय और अथक प्रयासों ने कुछ हद तक इसे हासिल करने में मदद की है और आने वाले समय में और भी बहुत कुछ प्राप्त किया जा सकेगा।
परियोजना की महत्ता
जलतारा का लक्ष्य 2022 में महाराष्ट्र के आसपास के जिलों में अपना आधार विस्तारित करना है। आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन के मार्गदर्शन में इसने अब तक नियोजित लक्ष्यों को प्राप्त कर लिया है। प्रति संरचना 6.06 लाख लीटर जल और प्रति गांव 30.3 करोड़ लीटर जल के प्रभाव के साथ भूमिगत जल के स्तर में 12-14 फीट की वृद्धि देखी गई है। इससे किसानों को खेतों में बार-बार पानी देने और खेतों में पानी भर जाने से होने वाले प्रभाव को कम करने में मदद मिली, जिसके परिणामस्वरूप फसल की उपज में 42% की वृद्धि हुई और किसानों की आय में 120% की वृद्धि हुई, जबकि जलजमाव के कारण खराब हुई फसलों का एक भी मामला सामने नहीं आया। वृक्षारोपण के माध्यम से जल पुनर्जीवन के दीर्घकालिक मूल्य के बारे में ग्रामीणों को शिक्षित करने, 'प्रत्येक कृषि योग्य भूखंड में पुनर्भरण संरचना पद्धति को मान्य करने और अनुमानित लाभों का प्रदर्शन करने पर ध्यान केंद्रित किया गया है। जाहिर है, मानक संरचना बड़े पैमाने पर स्केलेबल होते हैं - प्रति घंटे 4.5 पुनर्भरण संरचना को खोदना।
आर्ट ऑफ़ लिविंग की सामाजिक परियोजनाओं के बारे में
विश्वविख्यात लोकोपकारी और आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर द्वारा 1981 में स्थापित आर्ट ऑफ़ लिविंग एक गैर-लाभकारी, शैक्षिक और लोकोपकारी संगठन है जो विभिन्न जल संरक्षण परियोजनाओं के माध्यम से देश को जल की कमी से राहत दिलाने के लिए भारत सरकार के साथ मिलकर काम करता है।
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